सुरेश पाण्डेय पन्ना
:खास बातें:
1. एक पंचायत स्तर के अधिकारी को नियम विरूद्ध बना दिया गया जिला पंचायत का मनरेगा पीओ।
2. संभवतः प्रदेश ही नहीं देश का इकलौता आश्चर्य जनक एवं अजूबा निर्णय लिया था जिला प्रशासन ने।
3. सत्ता किसी की रहे जनप्रतिनिधि एवं जिले के आला अधिकारी हमेशा कब्जे में रहे हैं मनरेगा पीओ के।
सत्ता किसी की रहे जिला पंचायत सीईओ एवं कलेक्टर कोई रहे लेकिन सबको अपने मायाजाल में फंसा कर रखने मे माहिर सत्ता एवं प्रशासनिक संरक्षित जिला पंचायत के मनरेगा परियोजना अधिकारी संजय सिंह परिहार की शिकायत अंततः राजधानी भोपाल पहुंच गई। शिकायत पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल से की गई है। ज्ञात हो कि लगभग 6 वर्ष से लगातार जिला पंचायत मे मनरेगा परियोजना अधिकारी के पद पर संजय सिंह परिहार पदस्थ हैं। जबकि उनका मूल पद पंचायत समन्वय अधिकारी यानी पीसीओ है जो कि एक पंचायत स्तर का पद कहलाता है और राजनैतिक आकाओं तथा प्रशासनिक संरक्षण में उसे सीधे जिला स्तरीय पद में नियम विरूद्ध जिले का मनरेगा परियोजना अधिकारी बना दिया गया है। जो आज भी पदस्थ हैं हालांकि यह बात पूरे जिले को पता है कि मनरेगा पीओ के पास ऐसी कोन सी जादुई छड़ी है चाहे नेता या अधिकारी, मंत्री हो या विधायक, सांसद सब उसकी जादुई छड़ी के इशारे पर चलते रहे हैं और आज भी चल रहे हैं। संभवतः मप्र प्रदेश का इकलौता उदाहरण है जहां एक पंचायत स्तर का अधिकारी नियम विरूद्ध जिला स्तर के पद पर पदस्थ कर दिया गया है। जिसकी शिकायत पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री मप्र शासन भोपाल से की गई। शिकायत पत्र में उल्लेख है पन्ना जिले में नियम विरूद्ध तरीके से संजय सिंह परिहार, पंचायत समन्वयक अधिकारी को परियोजना अधिकारी मनरेगा एवं पंचायत के पद पर एक साथ दो पदों का प्रभार सौपा गया है। श्री परिहार का मूल पद तृतीय श्रेणी का है और वे परियोजना अधिकारी के पद हेतु पूर्णतयः अयोग्य है।
30 वर्षो से अंगद की तरह जमे हैं संजय सिंहः- संजय सिंह परिहार शासकीय सेवा प्रारम्भकाल से ही पन्ना जिले में पदस्थ हैं, मात्र 1 वर्ष की अवधि के लिये अन्य जिले में पदस्थ रहे हैं। निरन्तर लगभग 30 वर्षो से पन्ना जिले में पदस्थ रहने के कारण शासकीय सेवा के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों में श्री परिहार का संलिप्तता एवं हस्तक्षेप अत्यधिक है। पद का दुरूपयोग कर श्री परिहार द्वारा वित्तीय अनियमिततायें भी की गई है। श्री परिहार, पंचायत समन्वयक अधिकारी प्रतिनियुक्ति के माध्यम से अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी के पद पर पदस्थ रहे है। श्री परिहार पंचायत समन्वयक अधिकारी के पद पर पदस्थ नही होना चाहते, वे वरिष्ठ पदों पर ही रहना चाहते है और इसमें उन्हें जिला प्रशासन का भरपूर सहयोग आचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वर्ष 2017 में उनकी प्रतिनियुक्ति निरस्त कर दी गई थी, -उन्हें पंचायत समन्वयक अधिकारी के पद पर पदस्थ किया जा चुका था, इसके उपरान्त भी तत्कालीन कलेक्टर पन्ना द्वारा फिर एपीओ के पद का प्रभार सौप दिया गया, भारी विरोध के बाद तत्कालीन कलेक्टर पन्ना द्वारा उक्त आदेश निरस्त किया गया। सिद्ध होता है कि श्री परिहार की मंशा एवं जिला प्रशासन के सहयोग से लगातार उन्हें वरिष्ठ पद पर रखा जा रहा है। श्री परिहार पंचायत समन्वयक अधिकारी है, एवं इसी पद के विरूद्ध इनका वेतन आहरण होता है। यदि प्रतिनियुक्ति की बात की जाये तो उन्हें वरिष्ठ पद अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी के पद पर पदस्थ किया गया है, और फिर अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी माना जाकर प्रभार के रूप से उससे वरिष्ठ पद परियोजना अधिकारी मनरेगा का प्रभार सौपा गया है, इसके बाद उन्हें पूर्णरूपेण परियोजना अधिकारी माना जाकर परियोजना अधिकारी पंचायत का अतिरिक्त प्रभार सौपा गया है। आखिर इन प्रभार के वरिष्ठ पदों का आधार बनाकर और कितने वरिष्ठ पदों तक का इन्हें प्रभार सौंपा जायेगा। इन दो जिला स्तरीय वरिष्ठ पदों पर पदस्थ होकर जिला पंचायत की सम्पूर्ण स्थापना एवं निर्माण कार्य श्री परिहार के नियंत्रण में है, इनकी अनुशंसा टीप के आधार पर ही नस्तियां आगे प्रेषित की गई है। बात यदि पंचायत समन्वयक अधिकारी की है तो जिला पंचायत पन्ना में ही श्री परिहार से वरिष्ठ अन्य पंचायत समन्वयक अधिकारी आवक जावक जैसी शाखा में लिपिकं का कार्य कर रहे है, वहीं दूसरी ओर श्री परिहार प्रथम, द्वितीय श्रेणी के पदों पर कार्य कर रहे है। यह बात समझ से परे है कि आखिर पंचायत समन्वयक अधिकारी का पद है किस स्तर का है। श्री परिहार को वर्ष 2017 में पंचायत समन्वयक अधिकारी की हैसियत से ही जिला स्तर से गैर अधिकारिता के साथ परियोजना अधिकारी का प्रभार सौपा जा चुका था। कुछ वर्ष बाद पुनः कमिश्नर सागर संभाग सागर द्वारा संजय सिंह परिहार को परियोजना अधिकारी का प्रभार सौंप दिया गया। आखिर श्री परिहार को ही पदस्थ किये जाने का क्या औचित्य था। यह बिन्दु भी अत्यधिक आपत्तिजनक है कि जिला प्रशासन द्वारा श्री परिहार को पूर्णरूपेण परियोजना अधिकारी माना जाकर वर्ष 2017 से ही परियोजना अधिकारी पंचायत का प्रभार भी सौप दिया गया, आखिर इन दो बड़े पदों पर श्री परिहार को आसीन करने का जिला प्रशासन का क्या उद्देश्य है। राज्य स्तरीय विभागीय कार्यालयों द्वारा इस विषय में संज्ञान न लिया जाना भी आपत्तिजनक है।
नियम विरूद्ध सीईओ के स्थान पर अक्षम होते हुए भी स्वयं के हस्ताक्षर से फसल सुरक्षा दीवारों की कर दी स्वीकृतिः- श्री परिहार को परियोजना अधिकारी के पद पर पदस्थ किये जाने से इनके द्वारा वित्तीय अनियमितता भी की गई है। श्री परिहार द्वारा निर्माण कार्य फसल सुरक्षा दीवार की अनुमतियां स्वयं अपने हस्ताक्षर से जारी की गई है, जिनके आधार पर सहायक यंत्रियों द्वारा कार्य स्वीकृत किये गये है। इस आशय की पुष्टि ग्राम पंचायतों द्वारा भी की गई है। श्री परिहार को वित्तीय / कार्य स्वीकृति के अधिकार नहीं है। करोडो रूपये के कार्य इनके द्वारा स्वयं ही अनुमतियां जारी की जाकर स्वीकृत करा दिये गये। इस आशय की जानकारी भी जिला पंचायत पन्ना से चाही गई थी, लगातार तीन बार लेख किये जाने एवं लगभग 5 माह बाद भी जानकारी उपलब्ध नही कराई जा रही है, यह स्पष्ट है कि जानकारी उपलब्ध कराई जाती है तो करोड़ो रूपये की राशि की वित्तीय अनियमितता उजागर होगी। शिकायत के माध्यम से मांग की गई है कि संजय परिहार को परियोजना अधिकारी मनरेगा एवं पंचायत के सौंपे गये नियम विरूद्ध प्रभार का आदेश निरस्त करते हुये इन्हें इनके वास्तविक पद पर पदस्थ किया जावे, साथ ही लगातार 30 वर्षाे से पदस्थ रहने के कारण इन्हें पन्ना जिले से अन्यत्र पदस्थ किया जावे तथा इनके द्वारा फसल सुरक्षा दीवार के कार्यों में स्वयं जारी की गई वित्तीय अनुमतियों की जांच कराई जाकर वैधानिक कार्यवाही की जावे।
आयुक्त ने जांच के दिये आदेशः- आयुक्त रोजगार गारण्टी परिषद उपरोक्त मामले में संजय सिंह परिहार की नियम विरूद्ध मनरेगा पीओ की नियुक्ति की शिकायत पर आयुक्त मध्य प्रदेश राज्य रोजगार गारण्टी परिषद अपने पत्र क्रमांक 3001 दिनांक 31 जुलाई के माध्यम से कलेक्टर पन्ना एवं सीईओ जिला पन्ना को आदेश दिया है कि वे उपरोक्त मामले की जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। दिये गये आदेश में उल्लेख है कि मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, भोपाल को संबोधित शिकायत में पन्ना जिलें में पदस्थ प्रभारी परियोजना अधिकारी, मनरेगा संजय सिंह परिहार को मूल पद पंचायत समन्वयक अधिकारी के पद पर पदस्थ किये जाने का लेख किया गया है। शिकायत की छायाप्रति संलग्न है। शिकायती पत्र में उल्लेखित बिन्दुओं की विस्तृत जांच करते हुए तथ्यात्मक जांच प्रतिवेतदन 07 दिवस में प्रस्तुत करने हेतु राजेन्द्र कुमार वर्मा, उपायुक्त (विकास) परिषद मुख्यालय को आदेशित किया जाता है।
क्या कहते हैं अधिकारीः- जब उपरोक्त मामले में सीईओ जिला पंचायत संघप्रिय से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि शासन द्वारा उन्हें पत्र प्राप्त हुआ है वे पूरा तथ्यात्मक प्रतिवेदन निर्धारित समयावधि में भेजेंगे और निर्णय शासन स्तर से लिया जाना है जो निर्णय शासन द्वारा लिया जायेगा उसका पालन किया जायेगा। जब उपरोक्त मामले कलेक्टर पन्ना सुरेश कुमार से चर्चा करनी चाही तो उनका मोबाइल आउट ऑफ रेंज होने के कारण चर्चा नहीं हो सकी।