अग्निकांड : महाकाल मंदिर में अब प्रतीकात्मक रूप से मनेगी रंग पंचमी

होली पर हादसे के बाद लिया निर्णय, 28 साल में हो चुकी चार घटनाएं

 

उज्जैन। होली पर महाकाल मंदिर में गुलाल उड़ाते समय लगी आग के बाद अब रंग पंचमी का पर्व प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाएगा। आज की जांच शुरू हो चुकी है जिसकी रिपोर्ट 3 दिन बाद सामने आएगी। उससे पहले मंदिर में व्यवस्थाओं को सुधारने के प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं। रंग पंचमी पर सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा।

धार्मिक नगरी में हिंदू संप्रदाय से जुड़े पर्वों की शुरुआत महाकाल मंदिर से होती है। 24 मार्च की शाम होली का दहन हुआ था। 25 मार्च की तडक़े भस्म आरती में रंग गुलाल उड़ाया जा रहा था इस दौरान गर्भ गृह में आग लग गई थी। एक बार फिर घटना की चर्चा शहर प्रदेश ही नहीं देशभर में गूंज उठी। प्रधानमंत्री-गृहमंत्री ने प्रदेश मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री से जानकारी प्राप्त की। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी आग लगने की वजह का पता लगाने में जुड़ गए। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दो सदस्य टीम भी गठित कर दी जो 3 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उससे पहले मंगलवार को कलेक्टर और मंदिर समिति द्वारा आगामी रंग पंचमी पाव महाकाल मंदिर में प्रतीकात्मक रूप से मनाए जाने का निर्णय ले लिया। वही घटना से प्रशासन अलर्ट हो गया और महाकाल की व्यवस्था सुधारने में जुट गया है। रंग पंचमी पर सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाएगा वहीं रंग गुलाल नहीं उड़ाया जाएगा। सिर्फ टेसू के फूलों से बने रंग से ही पंचमी पर्व मनाया जाएगा।

महाकाल मंदिर में पिछले 28 सालों के दौरान चार बड़े घटनाक्रम होना सामने आ चुके हैं। वर्ष 1996 में मंदिर के अंदर मची भगदड़ के दौरान 36 लोगों की जान चली गई थी उसे वक्त भी मंदिर की व्यवस्थाओं और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर कई निर्णय लिए गए थे। वर्ष 2014 में मंदिर परिसर के नवग्रह मंदिर के पास पेड़ गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई थी। वर्ष 2018 में प्रशासनिक कार्यालय महाकाल मंदिर के बाहर फैसिलिटी सेंटर के पास भस्म आरती बुकिंग काउंटर से लगे पेड़ की एक बड़ी टहनी टूट गई थी उस वक्त गनीमत रही थी कि मौके पर कोई मौजूद नहीं था अन्यथा बड़ी घटना होती। अब आगजनी की घटना सामने आई है। पूर्व में कई बार मंदिर के आसपास पर्व त्योहारों के समय भी घटनाक्रम सामने आ चुके हैं लेकिन उन्हें बड़े मामलों से नहीं जोड़ा गया। श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिए जाने के लिए आसपास बेरिकेटिंग की जाती है जिसमें श्रद्धालु महिलाएं और बच्चे दब जाते हैं लेकिन श्रद्धालुओं की सूझबूझ से ही बड़ी घटना को होने से बचा लिया जाता है। लेकिन अब पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम प्रशासन को करना होंगे। वर्ष 2028 में सिहस्थ महापर्व आने वाला है करोड़ों श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुंचेंगे उसे देखते हुए व्यवस्थाएं पुख्ता करनी होगी।

 

 

श्रद्धालुओं ने बताई आंखों देखी

घटना के वक्त मौजूद पुजारी के सेवक सोनू राठौर ने बताया कि ‘मैं गर्भगृह में पार्वती माता जी के यहां खड़ा था। कपूर आरती खत्म होने वाली थी। उस दौरान किसी ने गुलाल डाला, जिससे आग लग गई और लोग झुलस गए। इसके बाद चांदी को बचाने के लिए लगे पर्दों ने भी आग पकड़ ली। बहुत ज्यादा गुलाल उड़ रहा था, इसलिए पंप देख नहीं पाया।

 

भगदड़ मची

 

छत्तीसगढ़ के रायपुर की मोनिका सिंह ने बताया चारों ओर शिव नाम की गूंज सुनाई दे रही थी। सब कुछ ठीक चल रहा था।आरती शुरू होने के पहले पंडों ने गुलाल के पैकेट बांटे तो 5 बजकर 27 मिनट पर आरती शुरू होते ही लोगों ने गुलाल उड़ाना शुरू कर दिया। कुछ ही सेकेंड में पूरा दरबार रंग गया। इस कदर गुलाल छा गया कि कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था। सिक्योरिटी में मौजूद लोग कपाट बंद करने लगे। मालूम हुआ कि आग लगी है। इसके बाद हम भी निकास द्वार की ओर भागे। स्प्रे से गुलाल उड़ाया जा रहा था, भगदड़ जैसे हालात बन गए।

 

सुप्रीम कोर्ट में रखे थे सुझाव

साल 2013 में शिवलिंग क्षरण को लेकर उज्जैन की सारिका गुरु ने याचिका लगाई थी। इसके बाद मंदिर समिति ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्षरण रोकने के लिए सुझाव दिया था कि मंदिर में सिर्फ हर्बल गुलाल का उपयोग किया जाएगा। पिछले दो-तीन साल से मंदिर में बिना जांच के रंग और गुलाल का उपयोग होली पर गर्भगृह में भी होने लगा।

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