ग्वालियर: जो व्यक्ति 2010 से लेकर 2015 तक पांच साल में तीन बार आपराधिक मामलों में संलिप्त रहा हो, जिसने पांच साल में तीन बार न्यायालय में ट्रायल फेस किया हो, वह व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में नौकरी करने लायक हो सकता है, लेकिन पुलिस फोर्स में सेवाएं देने लायक नहीं है। यह बात हाई कोर्ट की युगलपीठ के समक्ष एक याचिका में सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक रूसिया ने काफी चिंता जाहिर करते हुए कही।उन्होंने मामले की गंभीरता समझते हुए कहा कि भले ही व्यक्ति को सुनवाई के बाद बरी कर दिया हो, लेकिन इस बात पर भी गौर किया जाना चाहिए कि उस पर तीन बार आपराधिक प्रकरण दर्ज हुआ है।दरअसल, गुना के रहने वाले युवक बृजमोहन का बीते दिनों में पुलिस विभाग में एएसआइ के पद पर चयन हुआ था। उसने चयन होने के बाद उसकी प्रक्रिया को इस वजह से निरस्त कर दिया, क्योंकि उसके ऊपर आपराधिक मामले दर्ज रहे हैं। क्रिमिनल रिकॉर्ड के चलते उसे चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया।
न्यायालय में युवक ने इस प्रक्रिया के खिलाफ याचिका लगाई। इसमें युवक की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने कहा कि जिस परीक्षा में याचिकाकर्ता का चयन हुआ उसी में एक अन्य युवक का भी चयन हुआ था। उस युवक पर हत्या का एक मामला पंजीबद्ध रहा, जिसमें बाद उसे बरी कर दिया गया।याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले अधिवक्ता ने इस बात को आधार बनाते हुए याची को नौकरी दिए जाने की बात कही। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि उस अन्य युवक पर लगा आरोप सिद्ध नहीं हुआ था, जिसके चलते उसे स्पष्ट रूप से बरी किया। वहीं याचिकाकर्ता को स्पष्ट रूप से बरी नहीं किया था। सुनवाई के अंत में कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।