उत्तर पूर्वी कोने में मिट्टी मिले 5 पाषाण अवशेष स्तंभ और दीवार के टुकड़े

भोजशाला में एएसआई का सर्वे जारी
अवशेष पर बने हैं प्रतीक चिन्ह
धार: भोजशाला में 22 मार्च से सर्वे किया जा रहा है. यह सर्वे 27 जून तक किया जाएगा. हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में मामले की सुनवाई 4 जुलाई को होनी है. मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने उत्तरी भाग में सर्वे किया. इसमें पांच पाषाण अवशेष मिले हैं, जो स्तंभों और दीवार के टुकड़े हैं.सर्वे को 90 दिन पूरे हो गये हैं. इन 3 माह में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 1800 अवशेष मिल चुके हैं. इनमें लगभग 550 बड़े आकार के हैं, जबकि 30 मूर्तियां मिली है. इनमें अधिकांश खंडित मूर्तियां हैं. भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा और याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने बताया कि गर्भगृह में उत्तर पूर्वी कोने में मिट्टी हटाने के दौरान मिले 5 पाषाण अवशेष स्तंभ और दीवार के टुकड़े हैं. इन सभी पर प्रतीक चिह्न बने हैं, लेकिन स्पष्ट नहीं हो पा रहे हैं. इसके लिए इनकी सफाई कराई जाएगी. दूसरी ओर गर्भगृह के कमरे से मिले पुराने अवशेषों की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की गई है.

दस्तावेजीकरण तेजी से हो रहा
उल्लेखनीय है कि सर्वे 22 मार्च से किया जा रहा है. एक भी दिन सर्वे बंद नहीं किया गया है. यह 27 जून तक किया जाएगा. हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में मामले की सुनवाई 4 जुलाई को होनी है. उससे पहले एएसआई को सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है, इसलिए फिलहाल दस्तावेजीकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा है.

संस्कृत महाविद्यालय के रूप में प्रसिद्ध थी
वहीं कल राजा भोज कल्याण जन कल्याण सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र सिंह पंवार भी पहुंचे थे. उन्होंने 12 वर्षों के शोध के बाद परमार-पंवार राजवंश पर एक पुस्तक भी लिखी है. पंवार ने कहा कि राजा भोज के काल में भोजशाला की संस्कृत महाविद्यालय के रूप में प्रसिद्धि थी

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