जिले के पुलिस महकमें में व्यापक फेरबदल की सुगबुगाहट

रीवा जोन के अन्य जिले में पदस्थ एक फिर से सिंगरौली आने के लिए शुरू की कवायद, मोरवा, बैढऩ एवं बरगवां पर है कई निरीक्षकों की निगाहें

सिंगरौली :लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब पुलिस महकमें में फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। हालांकि अभी टीआई विहीन बरगवां एवं बैढऩ के लिए कुछ निरीक्षक भागदौड़ शुरू कर दिये हैं। इसमें रीवा जोन के अन्य जिले में पदस्थ निरीक्षक शामिल हैं। वही माड़ा की कमान संभाल रहे टीआई शामिल हैं। वे एक पुलिस अधिकारी के खास बताए जा रहे हैं। इनका मन वनाचंल माड़ा में नही लग रहा है।गौरतलब है कि कोतवाली बैढऩ में तकरीबन एक महीने से टीआई नही हैं। जिसके चलते कोतवाली क्षेत्र की कानून व्यवस्था अस्त व्यस्त है। उधर पिछले दिनों बरगवां टीआई विद्या वारीधि तिवारी को भी एसपी ने हटाकर लाईन अटैच कर दिया। लेकिन विद्या वारीधि तिवारी लाईन में आमद देने के पूर्व अवकाश पर चले गये।

कोतवाली बैढऩ एवं बरगवां इन दिनों निरीक्षक विहीन हैं। इधर लोसचुनाव के आचार संहिता जब लग रही थी उसी दौरान एसपी निवेदिता गुप्ता की सिंगरौली में पदस्थापना हुई। आचार संहिता के चलते एसपी ने जिले में कोई फेरबदल नही की । लेकिन उन्होंने इशारे-इशारे में अधिनस्थ पुलिस महकमें को संकेत जरूर दी थी कि चुनाव आचार संहिता हटने के बाद फेरबदल होगा। इधर लोकसभा चुनाव भी संपन्न हो गया और अब टीआई थानों के निरीक्षक बनने रेस में शामिल क ई टीआई भागदौड़ शुरू कर दिये हैं कुछ टीआई दावा कर रहे हैं कि उनकी पदस्थापना बरगवां, मोरवा या बैढऩ थाने में जरूर होगी। अपनी पकड़ भोपाल के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों से होना बता रही है। उनके दावा में कितना दम है यह तो एक सप्ताह के अंदर करीब-करीब स्थितियां स्पष्ट हो जाएंगी। हालांकि कुछ निरीक्षक जितने दम खम के साथ अपनी पोस्टिंग कराने की बात कर रहे हैं उनकी डगरे इतनी आसान नही हैं।
विधायकों को नही कर सकते नजर अंदाज
बरगवां थाने में तीन महीने पूर्व अचानक माड़ा थाना में पदस्थ टीआई विद्या वारीधि तिवारी को तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मो. यूसुफ कु रैशी ने बरगवां थाने की कमान सौंप दिया था। लेेकिन सूत्र बताते हैं कि टीआई तिवारी के इस पदस्थापना से देवसर विधायक खिन्न थे। वही पिछले दिनों असर दिखा है। बरगवां टीआई को हटाने के बाद जनप्रतिनिधियों ने पुलिस अधिकारियों को सकेंत दिया है कि उन्हें नजर अंदाज नही कर सक ते। यदि जनप्रतिनिधियों को तब्बजों नही मिलेगा। तो परिणाम इसी तरह के दिखेंगे। चाहे पुलिस महकमे का कितना भी कारखास हो। चर्चाओं के मुताबिक चुनाव के बाद थानों में निरीक्षकों क ी पदस्थापना बगैर विधायकों के सहमत लिये पोस्टिंग करना इतना आसान नही होगा।

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