बिहार की अर्थव्यवस्था को जंगलराज ने पहुंचाया भारी नुकसान : सीतारमण

पटना 21 मई (वार्ता) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार में ‘जंगल राज’ के दौरान कानून-व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ।

श्रीमती सीतारमण ने मंगलवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि ‘जंगल राज’ के कारण बिहार की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि ‘जंगलराज’ के दौरान के आर्थिक पहलुओं पर गौर करने से पता चला कि वर्ष 1992 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 21,282 रुपये थी, जो ‘जंगल राज’ के दौरान 33 प्रतिशत की गिरावट के साथ 14,209 रुपये हो गई थी।

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 1992 में ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय 20,591 रुपये थी जो 2002 तक 31 प्रतिशत कम हो गई। उन्होंने बताया कि यह इस बात का प्रमाण है कि ‘जंगलराज’ ने बिहार की अर्थव्यवस्था को कितना प्रभावित किया था। उन्होंने दावा किया कि ‘जंगलराज’ खत्म होने के बाद बिहार सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण वर्ष 2019 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 37,000 रुपये से अधिक पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को ‘जंगलराज’ के निराशाजनक युग से बाहर निकालने के लिए बहुत प्रयास की आवश्यकता है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1952 में मालभाड़ा समानीकरण नीति लागू की थी जो 1992 तक प्रभावी रही, जिससे बिहार को भारी नुकसान हुआ और राज्य का औद्योगिक विकास प्रभावित हुआ। माल ढुलाई समानीकरण नीति के अनुसार, बिहार के खनिजों को अन्य राज्यों में उद्योगों को समान कीमत पर उपलब्ध कराया जा रहा था और परिवहन लागत की भरपाई सरकार द्वारा की जा रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार के पिछड़ेपन के लिए पूरी तरह से कांग्रेस सरकार दोषी है।

वित्त मंत्री ने बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा कि इसकी सिफारिशें वित्त आयोग से आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्त आयोग ने केंद्रीय करों में कमी की सिफारिश की थी और इसे तदनुसार तीन स्लैब में किया गया था।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्तर पूर्वी राज्य विकास के इंजन बनेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार को केंद्र में कांग्रेस शासन के दौरान मिलने वाली धनराशि से अधिक धनराशि दी जा रही है। करों में राज्य की हिस्सेदारी के तहत बिहार को दी जाने वाली राशि भी कई गुना बढ़ गई है।

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