महाराजा तुकोजीराव होल्कर तृतीय की पुण्यतिथि पर विशेष

रेजिडेंट हाउस गवाह है उस प्रेम का जिसके कारण महाराजा को गद्दी छोड़ना पड़ा

कमलेश चौहान

मंडलेश्वर:मण्डलेश्वर का ब्रिटिश रेजिडेंट हाउस जिसमे छुपा है रहस्य और रोमांच. सामरिक दृष्टि से बने इस भवन ने इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटनाओं को देखा है. सम्पूर्ण निमाड़ में ब्रिटिश सत्ता का केंद्र रहा यह भवन 1857 की क्रांति में कैप्टन बेंजामिन हेब्स की हत्या का गवाह है तो यह भवन अगस्त क्रांति का भी साक्षी है. जहां से होल्कर पुलिस का डीआईजी अपना रौब पूरे निमाड़ को दिखाया करता था.

एक समय ऐसा भी आया जब यहां होल्कर वंश के महाराजा तुकोजीराव होल्कर तृतीय को नजर बन्द भी किया गया था. इतिहास के जानकार लेखक दुर्गेश कुमार राजदीप के अनुसार इस घटना का कहीं कोई लिखित प्रमाण नहीं है लेकिन नगर के बड़े बुजुर्ग इस बात को बखूबी अपने पूर्वजों से सुनते आए है कि यहाँ तुकोजीराव पवार को अंग्रेजों ने नजरबंद (हाउस अरेस्ट) किया था. घटना 12 जनवरी 1925 की है जब मुम्बई के मालाबार हिल में एक रईस की कुछ गुंडों ने गोली मारकर हत्या कर दी इस घटना के समय अंग्रेज सिपाहियों ने कुछ गुंडों को पकड़ लिया पुलिस जांच में ये गुंडे इंदौर स्टेट के महाराज तुकोजीराव होल्कर द्वारा भेजे गए थे.

महाराज की प्रेम कहानी
महाराजा तुकोजीराव होल्कर एक अच्छे शासक होने के साथ साथ संगीत और कला में भी रुचि रखते थे. उनके दरबार में एक बार एक हैदराबादी लड़की मुमताज ने बेहद उम्दा गायन से महाराज का दिल जीत लिया. महाराज उस लड़की की सुंदरता से प्रभावित होने लगे. महाराज उससे बेहद प्यार करने लगे यह प्यार चर्चा का विषय रहा. महाराज के प्यार में क्या कमी रह गई यह नहीं कहा जा सकता लेकिन एक बार यह सुंदर लड़की जब 19 साल की हो गई थी तब वह इंदौर राज दरबार से मुम्बई भाग गई और वहाँ एक अमीर व्यक्ति जो मुम्बई नगर निगम में पार्षद थे उनसे निकाह कर लिया. इस व्यक्ति का नाम अब्दुल कादिर बावला था. जब महाराज को उसके मुम्बई में होने की खबर लगी तो महाराज ने उसका अपहरण करने के लिये अपनी सेना के सहायक कमांडेंट को आदेश दिया.

राजा की आज्ञा के पालन हेतु सरदार आनंदराव फणसे द्वारा महाराज की प्रेमिका मुमताज को वापस लाने के लिये एक गुप्त योजना बनाई गई जिसमें एक कार द्वारा कुछ लोग मुंबई भेजे गए जिन्हें किसी भी तरह मुमताज को वापस लाने की जिम्मेदारी दी गई थी. योजना के तहत 5-7 गुंडे कार से मुम्बई पहुंचे. अब्दुल कादिर बावला होल्कर महाराज की प्रेयसी और अपनी पत्नी मुमताज के साथ चौपाटी पर घूमने गया. उसके साथ एक दोस्त और ड्राइवर था. ऐसा माना जाता है कि चौपाटी पर ही मुमताज को जानकारी मिल गई थी कि इंदौर से कुछ गुंडे मुम्बई उसे मारने पहुंच चुके है. मुमताज ने तुरंत ड्राइवर को कार तेजी से घर ले जाने को कहा. कार जैसे ही मालाबार हिल पहुंची. उनकी कार को गुंडों की कार ने रोका और उसमें से कुछ बदमाश निकले और उन्होंने कार से मुमताज का अपहरण करने की कोशिश की.

विरोध कर रहे अब्दुल कादिर बावला पर कट्टे से एक गोली चलाकर घायल कर दिया एवं मुमताज को चाकू से जख्मी कर दिया. गोली का शोर को सुनकर वहा से गुजर रहे अंग्रेज सैन्य अधिकारियों ने बदमाशों से मुकाबला किया. इस घटना के बाद बदमाश कार से भाग गये. कुछ बदमाश अंग्रेज अफसरों ने पकड़कर मुम्बई पुलिस को सौंप दिये, जिनसे पूछताछ में महाराज तुकोजीराव का नाम सामने आया. घायल मुमताज को अस्पताल भेज दिया गया. मुमताज ने भी इस घटना में महाराज तुकोजीराव का नाम लिया. इस चर्चित कांड का केस मुम्बई हाइ कोर्ट में चला जिसमे कुल 9 आरोपी नामजद थे. महाराज तुकोजीराव होल्कर की ओर से केस मोहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा जो बाद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने थे.

कोर्ट में पेश हो या गद्दी छोड़ों
बावला हत्या कांड की चर्चा भारत से लेकर ब्रिटेन तक पहुंच गई. ब्रिटिश सरकार ने महाराज के सामने दो विकल्प रखे या तो कोर्ट के समक्ष पेश हो या राजगद्दी त्याग दे. महाराज ने दूसरा विकल्प चुन लिया और सत्ता त्याग दी. 26 फरवरी 1926 को महाराज तुकोजीराव होल्कर ने गद्दी त्याग दी. उनके उत्तराधिकारी और होल्कर राज्य के अंतिम महाराज बने यशवंत राव होल्कर द्वितीय जिन्होंने होल्कर स्टेट का भारतीय संघ में 28 मई 1948 को विलय किया था.

महाराजा को किया हाउस अरेस्ट
बावला हत्याकांड में नाम आने के बाद जो कानूनी लड़ाई चली उसमें महाराज तुकोजीराव होल्कर को अपना पद छोड़ने के अलावा अंग्रेजो द्वारा नजरबंद भी किया गया था. इस अवधि में उन्हें मण्डलेश्वर के रेजिडेंट हाउस में रखा गया था. जहाँ महाराज को सभी सुविधाएं उपलब्ध थी

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