राहुल रायबरेली से करेंगे नामांकन दाखिल

रायबरेली 03 मई (वार्ता) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी रायबरेली संसदीय क्षेत्र से शुक्रवार दोपहर करीब 12 बजे अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि श्री गांधी सुबह साढ़े दस बजे रायबरेली आयेंगे और दोपहर 12 बजे रायबरेली आंख अस्पताल के निकट गुरु जी का केंद्रीय कार्यालय से कलेक्ट्रेट पहुंच कर अपना नामांकन दाखिल करेंगे।

इस अवसर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, श्रीमती सोनिया गांधी और श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा मौजूद रहेंगे।

गौरतलब है कि कांग्रेस आलाकमान ने आज सुबह रायबरेली से श्री राहुल गांधी और अमेठी से श्री किशोरीलाल शर्मा को उम्मीदवार घोषित किया है।

इससे पहले अमेठी से श्री राहुल गांधी और रायबरेली से श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव मैदान में उतरने के कयास लगाये जा रहे थे। उल्लेखनीय है कि रायबरेली की सांसद रही श्रीमती सोनिया गांधी ने स्वास्थ्य कारणों से राज्य सभा जाते हुए यहां की जनता को एक भावुक पत्र लिखा था कि उनके स्थान पर उनके परिवार का ही कोई व्यक्ति यहाँ से चुनाव लड़ेगा।

रायबरेली और अमेठी को गांधी परिवार के गढ़ के तौर पर लंबे अरसे से जाना जाता रहा है हालांकि श्री राहुल गांधी 2019 में अमेठी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे लेकिन वह दक्षिण भारत में केरन की वायनाड सीट से विजयी हुए थे। उसी वर्ष तमाम विषम परिस्थितियों में भी श्रीमती सोनिया गांधी ने रायबरेली से जीत का परचनम लहराया था। उनके खिलाफ भाजपा के टिकट पर दिनेश प्रताप सिंह ने मोर्चा संभाला था जिन्हें सोनिया गांधी ने खासे अंतर से हराया था। इस बार भी भाजपा ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को ही रायबरेली से भाजपा का टिकट दिया है।

श्री दिनेश प्रताप सिंह भी एक समय मे कांग्रेसी रहे है। कांग्रेस ने ही उन्हें विधान परिषद का सदस्य भी बनाया था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में दिनेश प्रताप सिंह भी खासे मजबूत हुए है और वर्तमान में योगी सरकार में मंत्री भी है।

कांग्रेस के अमेठी से वर्तमान उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी के समय से ही कई दशकों से कांग्रेस में अपनी सेवाएं देने वाले श्री शर्मा सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के तौर पर रायबरेली और अमेठी से सक्रिय रहे है। स्मृति ईरानी के मुकाबले किशोरी लाल शर्मा कितने ताकतवर होंगे इसका जवाब वहां की जनता के ही पास होगा।

रायबरेली सीट में 1999 में हुए उपचुनाव के बाद से कांग्रेस नेता सोनिया गांधी लगातार 2019 तक इस सीट से सांसद रही हैं लेकिन इस बार स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हो गई हैं।श्रीमती गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 534918 मतों के साथ 56.41 प्रतिशत वोट हासिल किए थे जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह ने 38.78 प्रतिशत वोट हासिल कर 367740 मत प्राप्त किए थे। तब तीसरे स्थान पर अशोक प्रताप मौर्य और चौथे पर निर्दलीय सुरेंद्र बहादुर सिंह रहे थे।

साल 2014 के चुनाव में श्रीमती गांधी ने भाजपा के अजय अग्रवाल को शिकस्त देते हुए 526434 मत प्राप्त किए जबकि भाजपा के श्री अजय अग्रवाल को 173721 मत मिले थे। बसपा तीसरे स्थान पर रही थी। इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ और तब से 19 चुनाव में 16 बार कांग्रेस ही जीती है। इस सीट पर 1977 में जनता पार्टी के राज नारायण ने इंदिरा गांधी को हराया था और उसके बाद 1996 में भाजपा के अशोक सिंह ने यह सीट जीती थी। श्रीमती गांधी इस बार चुनाव लड़ती तो वह लगातार छठी बार लोकसभा में पहुंच सकती थी।

अमेठी संसदीय सीट भी गांधी परिवार की परंपरागत सीट है लेकिन 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी ने कांग्रेस से यह सीट छीनी और गांधी परिवार को करारी शिकस्त देते हुए इस सीट से तीन बार सांसद रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 55120 मत से हराकर लोकसभा पहुंची। स्मृति ईरानी को 468514 जबकि राहुल गांधी को 413394 वोट मिले। सीट पर भाजपा को 49.71 प्रतिशत और कांग्रेस को 43.86 प्रतिशत वोट मिले। तीसरे स्थान पर निर्दलीय ध्रुव लाल रहे जिन्हें 7816 वोट मिले। इससे पहले 2014 में श्री गांधी ने 46.2 प्रतिशत यानी 408615 वोट हासिल कर स्मृति ईरानी को पराजित किया था। तब स्मृति को महज 300748 यानी 34.39 प्रतिशत वोट मिले। बहुजन समाज पार्टी के धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने 57716 वोट हासिल कर तीसरा और आम आदमी पार्टी के डॉ कुमार विश्वास ने 25527 वोट पाकर चौथा स्थान हासिल किया था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2004 में पहली बार इस सीट से जीते और लगातार तीन बार क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व किया। उससे पहले राजीव गांधी इस सीट पर चार बार लोकसभा के लिए चुने गए। यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई और तब से 13 बार कांग्रेस इस सीट पर जीती। राजीव गांधी के निधन के बाद दो बार उनके मित्र सतीश शर्मा इस सीट से सांसद रहे लेकिन 1998 में भाजपा के संजय सिंह ने सीट जीत ली। उससे पहले 1977 में जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप ने कांग्रेस से यह सीट छीनी थी।

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