भोजशाला को लेकर हिंदू पक्ष ने किये बड़े दावे

 

धार । भोजशाला में चल रहे ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वे के बीच हिन्दू पक्ष ने बड़ा दावा किया है। हिन्दू पक्ष के गोपाल शर्मा का कहना है कि कमाल मौलाना दरगाह के नीचे तलघर है। साथ ही दो गुंबदों में से एक के नीचे भगवान हनुमान का मंदिर हैं। दूसरे गुंबद के नीचे दक्षिणेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना थी। ASI की टीम गर्भगृह में भी सर्वे कर रही हैं।

 

बता दें कि इंदौर हाईकोर्ट के आदेश पर धार की भोजशाला में ज्ञानवापी की तर्ज पर वैज्ञानिक सर्वे किया जा रहा है। सर्वे का रविवार को

 

22वां दिन है। ASI की टीम के 22 अधिकारी-कर्मचारी, 27 मजदूर और दोनों पक्षों के 3 सदस्य सुबह 8 बजे परिसर में पहुंचे। टीम के पास आधुनिक उपकरण थे।

 

भोजशाला परिसर और उसके 50 मीटर के दायरे में उत्खनन, जीपीएस, जीपीआर, उच्च स्तरीय फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी सहित अन्य आधुनिक तकनीक की मदद से सर्वे हो रहा है। यहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं।

 

हिन्दू पक्ष के गोपाल शर्मा ने बताया 437 मजारें नहीं, नाथों की समाधिया है शर्मा ने कहा कि धार शहर में जो 437 मजारें हैं, वे नाथों की समाधियां हैं। कमाल मौलाना 1269 में आए थे, सन 1305 में अहमदाबाद चले गए थे, उनकी मजार पुराना जीपीओ कार्यालय के पीछे बनी हुई है। उनके मरने के 300 साल बाद 16वीं शताब्दी में मोहम्मद खिलजी और मोहम्मद गौरी ने वहां से ईंट लाकर हमारे दोनों देवस्थानों को ध्वस्त कर मजार बना दी थी, कई उदाहरण हैं

जैसे ताजमहल में जाओ तो नीचे तलघर है। वहां नीचे एक सफेद मजार बनी हुए है। जिस पर जमुना जी का पानी एक-एक बूंद गिरता है पानी शिवलिंग पर ही गिरता है।

उन्होंने कहा- इसी प्रकार कुतुब मीनार 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था, अकबर ने इलाही धर्म की स्थापना की थी। कुछ सूफी संत तैयार किए थे। उन्हीं सूफी संतों ने देश के हिंदू मंदिरों में जाकर सेवा की आड़ में धर्मांतरण किया था।

आज वह 30 हजार स्थान हिंदू मंदिरों से वंचित होकर मस्जिदों में परिवर्तित हुए हैं और हिंदू समाज अपमानित हुआ है। उसी में एक भोजशाला भी है।

राजा भोज के काल की भोजशाला का स्वरूप मिलेगा धार की भोजशाला में 5 हजार विद्यार्थी अध्ययन करते थे। 1300 आचार्य विद्यादान करते थे। यहां से तैयार होने के बाद विद्वान पूरे आर्यावर्त में हिंदू समाज का प्रचार करना और हिंदू समाज का मार्गदर्शन करने का काम करते थे। इस मानसिकता को खत्म करने के लिए 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने यहां आक्रमण किया था। इस सर्वे के बाद निश्चित रूप से यहां पहले राजा भोज के काल में इस भोजशाला का

जो स्वरूप था, मां सरस्वती मंदिर का जो स्वरूप था वह फिर से प्राप्त होगा।

 

मुस्लिम पक्षकार बोले- शिलालेखों पर उर्दू अरबी-फारसी में लिखा वहीं कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष और मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान ने बताया कि दरगाह के अंदर जो भी शिलालेख और पत्थर मिल रहे हैं जिन पर उर्दू अरबी और फारसी में लिखा हुआ है। उनकी जांच के लिए कार्बन डेटिंग होगी।

 

सर्वे के दौरान साफ सफाई फोटोग्राफी वीडियोग्राफी, लेबलिंग स्केचिंग और ड्राफ्टिंग का काम हुआ है, जिससे वे किस समय के हैं यह पता लगाया जा सके। यह सारी बातें कोर्ट के सामने ही पेश की जाएगी।

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