अग्निकांड : पत्नी को 5 घंटे के बाद दी परिवार उजड़ने की खबर

ड्राय फ्रूट्स व्यापारी की दम घुटने से हुई मौत तो बड़ी बेटी डोर हैंडल पकडे हुए मृत मिली, राहत टीम को छोटी बेटी जिन्दा मिली लेकिन बचाया नही जा सका

नवभारत न्यूज

ग्वालियर. बुधवार-गुरूवार की दरमियानी रात 2 बजे व्यापारी और बेटियों ने स्वयं को आग से घिरा पाया तो वह एक दूसरे की जान बचाने यहां-वहां भागे, संभवत: पिता ने बेटियों को तीसरी मंजिल पर कमरे में ही रहने के लिय कहा होगा। स्वयं पहली मंजिल पर दरवाजे तक पहुंचने की कोशिश की होगी। लेकिन आग तीनों मंजिल पर फैली हुई थी।

ड्राय फ्रूट्स व्यापारी विजय अग्रवाल, उनकी 2 बेटियों अंशिका 15 और यंशिका 14 की आग ने जान ले ली। पिता और दोनों बेटियों ने बचने के लिये कितना संघर्ष किया होगा, यह कोई नहीं जानता लेकिन जिस हालत में उनके शव 3 मंजिला घर में अलग-अलग मिले उससे यह तो साफ है कि तीनों ने बचने के लिये काफी संघर्ष किया होगा। दूसरी मंजिल की सीढियों के पास ही व्यापारी दम घुटने से गिर गया। बड़ी बेटी दरवाजे के लॉक हैंडल को पकड़े हुए थी। छोटी बेटी बेड पर थी और उसकी सांसें चल रही थी। स्टेट डिजास्टर इमरजेंसी रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ) ने इसी हालत में तीनों को बाहर निकाल कर अस्पताल पहुंचाया।

दोंनों बेटियों की मौत से अंजान थी मां

घटना के वक्त व्यापारी विजय और उनकी दोनों बेटियां ही घर पर थे। पत्नी राधिका अंश को लेकर मुरैना मायके में अपने घायल चाचा को देखने गयी थी। घटना के बाद व्यापारी की पत्नी को मुरैना से बुलाकर बहोड़ापुर में एक रिश्तेदार के घर रूकवा दिया गया था। सुबह 11 बजे तक राधिका पति, दो बेटियों की मौत से अंजान थी। उन्हें दोपहर मे तब बताया गया, जब शव को घर लेकर आने वाले थे। वह बेसुध हो गयी। व्यापारी और उनकी बेटियों की मोत की पुष्टि सुबह 5 बजे तक हो गयी थी।

 

अलमारी नही होती या दरवाजा खुला होता तो तीनों की जान बच जाती

 

विजय गुप्ता की पत्नी श्रीमती सुमन बेटा वंश गुप्ता के साथ अपने मायके गई हुई थीं इस कारण उनकी जान बच गई ,मकान चारो तरफ से पेक था हालांकि पीछे का दरवाजा लाइफ लाइन था लेकिन वहां अलमारी रखी थी आग और धुएं की घुटन इतनी ज्यादा थी कि अंदर के लोग अलमारी हटा नही पाए तीनों अलमारी के पास ही मिले यदि अलमारी नही होती या दरवाजा खुला होता तो तीनों सुरक्षित बाहर निकल आते।

शोक में डूबा रहा बहोड़ापुर इलाका

इस हृदय विदारक घटना के बाद इलाके में शोक व्याप्त हो गया। दुर्घटना के बाद फायर ब्रिगेड को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि सूचना के बाद भी फायर ब्रिगेड 1-30 घण्टे देर से घटना स्थल पर पहुंची और उनके साथ पर्याप्त राहत सामग्री नहीं थी न तो लंबी नशेनी थी और न ही दीवार तोड़ने के औजार। दो मंजिल और तीसरी मंजिल तक फायर ब्रिगेड नहीं पहुँच पायी। सुबह 4-30 पर पीछे के मकान की दीवार तोड़ कर तीनों को 5 बजे बाहर निकाला गया। अगर तीन बजे के आसपास पीछे के मकान की दीवार तोड़ दी गई होती तो तीनों जानो को बचाया जा सकता था।

यह भी कहा जा रहा है कि फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी के साथ दूसरी गाड़ी और होती तो आग पर जल्दी काबू किया जा सकता था।

 

व्यापारी को बाहर निकालने के बाद बचाव दल ने उन्हें सीपीआर भी दी

 

मदद के लिये एयरफोर्स और एसडीआरएफ को बुलाया गया था।

मकान की लपटें उठ रही तो आस-पड़ोस के लोगों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को खबर दी। पुलिस और फायरब्रिगेड ने स्थिति संभालने का प्रयास किया लेकिन आग बहुत अधिक जगह में फैल चुकी थी। एसडीईआरएफ और एयरफोर्स को भी मदद के लिये घटनास्थल पर बुलाया गया। एसडीआरएफ की 13 सदस्यीय टीम ने दूसरे फ्लोर की दीवार को मशीन तोडा। यहां से विजय को निकाला गया और बचाव टीम ने उन्हें सीपीआर दी लेकिन शरीर में कोई हलचल नहीं हुई। तीसरी मंजिल के दरवाजे को तोड़कर अलमारी को हटाया। यहां से दोनों बेटियों को निकाला गया। तीनों को अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

 

दो महीने पहले ही ड्राय फ्रूट्स का कारोबार शुरू किया था

 

मौके पर एक के बाद एक फायर ब्रिगेड की 13 गाड़ियां आईं, तब जाकर गुरुवार सुबह 4.30 बजे तक आग पर काबू पाया जा सका। विजय ने 2 महीने पहले ही ड्राय फ्रूट्स का कारोबार शुरू किया था। पड़ोस में रहने वाले शैलू चौहान ने बताया कि आग बहुत भीषण थी। बेटियां और विजय अंदर से बाहर नहीं आ सके। एक अन्य पड़ोसी दिनेश सिंह राजावत का कहना था कि फायर ब्रिगेड जल्दी आ जाती तो शायद तीनों बच जाते।

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