विधानसभा चुनाव में पुरुषों की अपेक्षा 8.74 प्रतिशत महिलाओं ने ज्यादा किया मतदान
सीधी : जिले में विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान को लेकर महिलाओं में इस बार काफी जागरुकता दिखी। पुरुषों की अपेक्षा मतदान करने के लिए ज्यादा संख्या में महिलाएं अपने मतदान केन्द्रों में पहुंची। जिला निर्वाचन आयोग द्वारा मतदान के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पुरुषों की अपेक्षा 8.74 प्रतिशत ज्यादा महिलाओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। महिलाओं के मतदान का प्रतिशत जहां 75.42 प्रतिशत रहा। वहीं पुरुषों के मतदान का प्रतिशत 66.68 प्रतिशत रहा।मतदान करने के लिए 3 लाख 71 हजार 406 महिलाएं मतदान केन्द्रों में पहुंची। वहीं 3 लाख 54 हजार 21 पुरुषों एवं 2 थर्ड जेंडर ने मतदान किया। इस तरह 17 हजार 385 महिलाओं ने ज्यादा संख्या में पहुंचकर मतदान किया। निर्वाचन आयोग के अनुसार सीधी जिले में विधानसभा चुनाव के लिए कुल 10 लाख 23 हजार 349 मतदाता थे। जिसमें 5 लाख 30 हजार 899 पुरुष, 4 लाख 92 हजार 437 महिला एवं 13 थर्ड जेंडर शामिल थे।
तत्संबंध में जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होते ही स्वीप टीम द्वारा जिले भर में मतदान ज्यादा संख्या में सुनिश्चित हो इसके लिए विभिन्न माध्यमों से जागरुकता अभियान चलाया गया था। स्वीप टीम के इस प्रयास का सार्थक असर रहा कि जिले में कुल 70.89 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान करने को लेकर मतदाताओं में काफी उत्साह भी नजर आया। शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मतदान किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति यह रही कि मतदान करने के लिए काफी संख्या में लोग अपने रोजमर्रा के काम से भी अवकाश लिए हुए थे। गरीब तबका जिनमें श्रमिक काफी संख्या में शामिल है उन्होंने भी 17 नवम्बर को मतदान करने के लिए स्वेच्छा से अवकाश कर रखा था। गरीबो में भी प्रदेश में सरकार गठित करने को लेकर काफी उत्साह बना हुआ था।
चर्चा के दौरान भले ही अधिकांश मतदाता खुलकर किसे मतदान किया इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं किन्तु सभी की इच्छा थी कि प्रदेश में जल्द सरकार बने और तेजी के साथ काम शुरू हो सके। चुनाव के बाद गठित होने वाली सरकार से सभी वर्गों की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। श्रमिक वर्ग के लोग यह चाहते हैं कि उनके कल्याण के लिए अच्छी योजनाएं बने जिससे उनको भी मदद मिल सके। वहीं शिक्षित बेरोजगारों की मंशा है कि प्रदेश में ऐसी सरकार बननी चाहिए जो कि रोजगार को लेकर संवेदनशील हो। समय व्यतीत करते हुए गोलमाल जवाब देने की बजाय सरकारी नौकरियों पर भर्ती शुरू करे। भर्ती की प्रक्रिया भी पूरी तरह से पारदर्शी हो जिससे घोटाला की गुुंजाइश न रहे। सरकारी नौकरियों की भर्ती में ऐसे नियम बनने चाहिए। जिससे योग्य युवाओं का चयन ज्यादा सेे ज्यादा संख्या में हो। अभी तक यह देखा जा रहा था कि यदि कुछ भर्ती निकलती भी थी तो उसमें इतनी कैटेगरी बना दी जाती थी कि अपात्रों के चयन का रास्ता सबसे ज्यादा बन जाता था। नई सरकार से छोटे व्यवसाईयों, कृषकों, महिलाओं की उम्मीदें भी जुड़ी हुई हैं। इनकी इच्छा भी है कि उनके कल्याण के लिए अच्छी योजनाएं बने और लागू हो।
2 लाख 97 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने नहीं किया मतदान
जिले में विधानसभा चुनावों के लिए कुल मतदाताओं की संख्या 10 लाख 23 हजार 349 थी। जिसमें 2 लाख 97 हजार 920 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग नहीं दिया। करीब 29 फीसदी मतदाताओं की दिलचस्पी मतदान करने के लिए नहीं थी। इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं। काफी संख्या में ऐसे भी मतदाता शामिल रहे जो कि रोजगार धंधे के लिए अपने गृह क्षेत्र में ही उपस्थित नहीं थे। ऐसे मतदाताओं की संख्या काफी है जो कि रोजगार के लिए मुंबई, दिल्ली, सूरत, नोएडा, पंजाब, उत्तर प्रदेश आदि स्थानों में डेरा जमाए हुए हैं। ऐेसे अप्रवासी मतदाताओं को जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से आमंत्रण भी दिया गया था कि वह 17 नवम्बर को मतदान करने के लिए अवश्य पहुंचे, फिर भी इसका असर काफी कम था।
बाहर रहने वाले मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करने के लिए अपने गृह ग्राम आने से दूरियां बनाए हुए थे। सूरत में काम करने वाले कुछ मतदाताओं द्वारा अपने परिजनों से कहा गया था कि मतदान करने के लिए उन्हें कोई राशि नहीं मिलेगी। इस वजह से वह अनावश्यक रूप से किराया का खर्च वहन करते हुए मतदान करने के लिए नहीं आएंगे। घर वालों द्वारा भी इसलिए जोर नहीं दिया गया क्योंकि काम का नुकसानी होता और पैसा नहीं मिलता। कुछ जानकारों का कहना है कि सीधी जिले के शहरी क्षेेत्र में रहने वाले संपन्न परिवारों के काफी मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करने के लिए नहीं पहुंचे। इसमें महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा था। पुरुषों द्वारा भी अपने काम-काज की व्यस्तता के चलते मतदान करने को प्राथमिकता नहीं दी गई। इसी वजह से जिले में मतदान का प्रतिशत 70 प्रतिशत के समीप ही रहा। यदि सभी वर्ग के लोगों द्वारा मतदान को लेकर अपनी जागरुकता प्रदर्शित की जाती तो यह आंकड़ा 80 फीसदी से ऊपर पहुंच सकता था।