पुलिस यातायात गार्डन बना नशेडि़यो का अड्डा जिम्मेदारों को यातायात गार्डन की और देखने तक की फुर्सत नही



नवभारत न्यूज
झाबुआ। शहर में ऐसे तो नन्हे बच्चों व बड़ों लायक कोई पार्क या गार्डन झाबुआ नगरपालिका द्वारा शहर भर में है ही नहीं। वहीं पुलिस लाइन स्थित पुलिस द्वारा जो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक व उस समय के तत्कालीन पुलिस विभाग के आरआई ने नन्हे बच्चों लायक एक गार्डन पुलिस लाइन के निकट बनवाया था वह गार्डन आज पुलिस विभाग के जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण अपने आंसू बहा रहा है और तो और वह गार्डन अब नशेडि़यो व असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है, लेकिन जिम्मेदार है कि इस यातायात गार्डन की और देखने की हिमाकत तक नहीं कर रहे हैं जिसके कारण पूरा गार्डन सफाई से लेकर बच्चों के मनोरंजन के संसाधन तक जिर्ण शिर्ण अवस्था में आ गए हैं जिसके कारण नन्हे बच्चे पुलिस विभाग के गार्डन में जाने से भी अब कतराने लगे हैं।
गार्डन बना नशेडि़यो का अड्डा, नही खाकी का खौफ

यातायात प्रशिक्षण बाल उद्यान जाने वाले लोग पुलिस के पार्क या गार्डन दोनों ही नाम से जानते हैं, ऐसे कोई अन्य गार्डन या पार्क होता तो मानने में आता कि कोई भी नशेड़ीये व सटोरिये इस प्रकार की हिमाकत कर सकते थे लेकिन हर जगह पुलिस का खौफ हो नशेडिये व सटोरिये वहां फटकने की हिमाकत तक नहीं कर सकते हैं लेकिन पुलिस लाइन स्थित पुलिस लाइन के पास पुलिस विभाग द्वारा बनाए गए गार्डन पर अब नशेडि़ये व सटोरिये बखौफ होकर पुलिस गार्डन में आकर अपनी गतिविधियां बेखौफ ढंग से संचालित कर रहे हैं उन्हें पुलिस गार्डन में पुलिस से डर नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई हो, जिसके कारण पुलिस यातायात गार्डन अब नशेडि़यों का अड्डा बन चुका है, जबकि पुलिस यातायात गार्डन पर बाहर एक बड़े बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कि आप सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है, लेकिन नशेडि़यों को लगता है पुलिस का कोई भय नहीं है।

जिसके कारण वह जब अपनी मर्जी से आते हैं वह अपनी मर्जी से यातायात गार्डन काम को अंजाम देकर चले जाते हैं, उन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है, जबकि गार्डन के बाहर स्पष्ट शब्दों में लिख रखा है कि यातायात प्रशिक्षण बाल उद्यान पार्क का खुलने का समय सुबह 6 से 9 बजे तक। वही शाम का खुलने का समय 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक निर्धारित कर रखा है। पुलिस यातायात गार्डन से जिम्मेदारों द्वारा आंखे मंूद लेने के कारण असामाजिक तत्वों ने इसे अपना अड्डा बना लिया है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के अन्य स्थानों की क्या स्थिति होगी ? क्या शहर में खाकी का खौफ नही है यह बात गार्डम में जाने वाले बच्चों के अभिभावक कहते सुने जा रहे है।
यातायात गार्डन की हालत भी खस्ता

पुलिस लाइन के पास स्थित पुलिस यातायात गार्डन की हालात साफ-सफाई से लेकर बच्चों के मनोरंजन के खेलकूद के संसाधन तक जिर्ण शिर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं, पुलिस यातायात द्वारा इस और अनदेखी के कारण ही इसकी यह दुर्दशा हो रही है। जिम्मेदार पुलिस विभाग के अधिकारी से लेकर पुलिस लाइन के जिम्मेदार तक को इस और देखने की फुर्सत नही है, जिसके कारण गार्डन में लगे नन्हे बच्चों के खेलकूद के संसाधन जगह-जगह से टूट फुट रहे हैं, अब बच्चों के अभिभावक भी इस गार्डन की और अपने बच्चे ले जाने से कतराने लगे हैं।

बच्चों के अभिभावकों का मानना है कि यदि यातायात गार्डन में कहीं बच्चों को ले जाये ओैर खेलकूद के टूटे-फूटे संसाधनों से कहीं बच्चों को चोट लग गई तो लेने के देने पढ़ सकते हैं, जिसके कारण अभिभावक अपने नन्हें बच्चों को यातायात गार्डन ले जाने से दुरी बना रहे है। वही शहर के जागरूक नागरिक स्वीट्ी गोस्वामी का कहना हैं कि अब यातायात गार्डन या ट्रैफिक गार्डन को भी नशे का अड्डा बना दिया है। यहां ट्रैफिक पुलिस का जवान इस ओैर देखने की जरूर नहीं समझ रहा है, पूर्व में यहां यातायात जवान तैनात रहते थे और आने जाने वाले हर व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रखतें, लेकिन कुछ समय बाद गार्डन को भगवान भरोस छोड दिया। यही वजह है कि जिसका खौफ दिखना चाहिये उसके ही आंगन में असामाजिक तत्व डेरा डालकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हुए उन्हें चुनौती दे रहे है।


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