रिकार्डतोड़ मतदान के बाद अब पार्टियों के जीत के अपने-अपने दावे


रिकार्डतोड़ मतदान के बाद अब पार्टियों के जीत के अपने-अपने दावे
सांवेर क्षेत्र में मतदान का अधिकृत आंकड़ा 80 प्रतिशत के पार, पिछले चुनाव में भी इतना ही था

कुमार कुंदन ओस्तवाल

सांवेर: शुक्रवार को मतदान संपन्न होने के बाद जो आंकड़े आए हैं उनके अनुसार सांवेर क्षेत्र में कुल 242473 वोटो में से भाजपा – कांग्रेस या अन्य प्रत्याशी कितने-कितने वोटों के हिस्सेदार बनेंगे और जीत का ताज किसके सिर पर होगा यह तो आगामी 3 दिसंबर को ही खुलासा हो पाएगा. मगर दोनों प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों और उनके समर्थकों द्वारा पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी-अपनी पक्की जीत के दावे किए जा रहे हैं. जीत के पीछे कांग्रेस-भाजपा कार्यकर्ता- नेताओं द्वारा पुख्ता तर्क भी चौपाल व नुक्कड़ चर्चाओं में दिए जा रहे हैं.
शुक्रवार को मतदान के पश्चात अगले दो दिन शनिवार और रविवार को दोनों प्रमुख दलों के कार्यकर्ता व नेता अपने-अपने बूथों पर हुए मतदान के आंकड़ों का आदान-प्रदान करते रहे.

शनिवार को सुबह से शाम तक हर कहीं झुंड नजर आए जहाँ पर चुनाव में मतदान और बूथ या ग्रामवार आने वाले परिणामों के कयास लगाते हुए उनकी चर्चाऐं चलती रही. भाजपा के प्रत्याशी मंत्री तुलसी सिलावट और कांग्रेस प्रत्याशी रीना बौरासी की जीत-हार के दावे-प्रतिदावे और कयास लगते रहे. भाजपा खेमे में प्रमुख नेता जहां 2020 के उपचुनाव के बाद सिलावट की दूसरी बड़ी जीत का दावा कर रहे हैं वहीं उत्साह और उम्मीद के साथ कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भलें ही कम अंतर से मगर रीना बौरासी की पक्की जीत का दावा करते नजर आ रहे हैं .

पिता की हार बदला ले पाएगी रीना?
कांग्रेस के तमाम छोटे-बड़े नेता, कार्यकर्ता दावा कर रहे है कि रीना बौरासी भलें ही कम अंतर से मगर चुनाव पक्के तौर पर जीत रही है. जीत के पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि 2020 में हुए उपचुनाव में उनके पिता प्रेमचंद गुड्डू की करारी हार के बावजूद गत तीन सालों से लगातार सक्रियता और जनता के बीच सदैव मौजूद रहने के साथ ही इस चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एकजुटता के साथ हर बूथ पर जुझारूपन तो नजर आया ही आया बल्कि रीना के पक्ष में अपने पक्ष का एक एक वोट करवाया. हालाँकि चुनाव प्रबंधन सिलावट के मुकाबले का नहीं था. कांग्रेस का प्रतिबद्ध मतदाता जो पिछले उपचुनाव में सिलावट से पुराने संबधों का लिहाज करते हुए भाजपा नहीं सिलावट के लिए वोट कर आया था वह इस चुनाव में फिर कांग्रेस में लौट आया है. एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि उप चुनाव में सिलावट को उनका मंत्री और भाजपा सरकार होने के साथ भाजपा का पूरा तंत्र लगा रहने का जो लाभ मिला था वह इस चुनाव में नहीं मिल पाया है.
उपचुनाव से कम वोट मिले
सिलावट को हर गाँव में पिछले उपचुनाव से कम वोट मिले हैं यह तो खुद भाजपा नेता कार्यकर्ता भी मंजूर कर रहे हैं. ओपीएस के कारण शासकीय कर्मचारियों उनके परिवारों के करीब 15 हजार वोट कांग्रेस के पक्ष में थोकबंद आए हैं जो उपचुनाव में सिलावट को मिले थे. इन्हीं कारणों से कांग्रेसी उम्मीद से है कि भलें ही मामूली अंतर से मगर रीना चुनाव जीत रही है और वह अपने पिता की पराजय का बदला सिलावट से लेने में कामयाब होने जा रही है.

सिलावट और समर्थक तो जीत पक्की मान रहे
कांग्रेस पक्ष के उलट भाजपा प्रत्याशी और उनके समर्थकों का दावा है कि क्षेत्र में भारी मतदान भाजपा और सिलावट के पक्ष में हुआ है. प्रदेश सरकार में केबिनेट मंत्री के रूप में क्षेत्र में पिछले पांच सालों में तुलसी सिलावट द्वारा करवाऐ गए करोड़ो रूपए के अनेक विकास कार्यों के अलावा महिलाओं के लिए शुरू हुई लाड़ली बहना योजना साथ मुख्यमंत्री शिववराजसिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के कारण एकबार फिर क्षेत्र के लोगों ने भाजपा और सिलावट के पक्ष में भारी मतदान किया है . पहली बार मतदान करने वाले नवमतदाताओं में से अधिकांश युवाओं ने अपना वोट भाजपा के पक्ष में दिया है .

भाजपाई पिछले उपचुनाव में सिलावट की 53 हजार से ज्यादा वोटों से हुई रिकार्डतोड़ जीत को भी सामने रखते हुए फिर बड़ी जीत का दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी उपचुनाव में कांग्रेस को मिले करीब 76 हजार वोटों में कितना इजाफ़ा भी भी कर ले तो भी सिलावट को मिले 1 लाख 29 हजार वोटों के भी समकक्ष नहीं पहुँच पाएगी . और चुनावी प्रबंधन में तो रीना बौरासी या कांग्रेस सिलावट के प्रबंधन के आगे बौनी नजर आई है . भाजापाई दावा कर रहे हैं कि सिलावट उपचुनाव वाली पिछली जीत का भी रिकार्ड तोड़ते हुए कम से कम 60 हजार वोटो से चुनाव में विजय होंगे .


नव भारत न्यूज

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