इंदौर बन रहा है रावण के पुतलों की मंडी

कई क्षेत्रों के लोग यहां से ले जाते हैं रावण के ढांचे

महंगाई के चलते अब दशानन का कम होता हैं दहन

धर्मेन्द्र चौहान

इंदौर: प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर कुछ सालों से रावण के पुतलों की मंडी बन गई है. यहां पर बने रावण के ढांचे को आसपास के कई जिलों से लोग आकर ले जाते है. महंगाई के चलते कई स्थानों पर अब दशानन की जगह सिर्फ रावण का दहन किया जाने लगा है.पिछले कुछ सालों से इंदौर में रेडिमेड रावण बनाकर बेचने के व्यापार भी खूब फल फूल रहा है. मालवा मिल क्षेत्र से लेकर विजय नगर, मूसाखेड़ी, कालानी नगर जिंसी, छावनी, खजराना और टॉवर से लेकर कई प्रमुख क्षेत्रों में रेडिमेड रावणों की दुकानें दशहरे के कुछ दिनों पहले ही लग जाती है. यहां बने रावणों को आसपास के क्षेत्र जैसे धार, देवास, पीथमपुर, सांवेर, हातोद, मांगलिया, खुड़ैल से आकर भी लोग ले जाते है. वहीं इन क्षेत्रों में रावण दहन का बड़ा आयोजन करने वाले पहले से ही रावण के पुतलों का ऑर्डर दे देते है.

10 सिर वाले रावण कम
मालवा मिल क्षेत्र में रावण का व्यवसाय करने वाले दीपक जैन का कहना है कि मैं सिर्फ मौसमी व्यवसाय करता हूं. जिसमें रावण के पुतलों का व्यवसाय मैं पिछले बीस सालों से करता आ रहा हूं. मंहगाई के चलते अब लोग दस सिर वाले रावण के पुतले का आर्डर नहीं देते है. दस सिर में रॉ मटेरियल ज्यादा लगता है, रावण को दशानन की शक्ल देने के लिए थर्माकोल का इस्तेमाल किया जाने लगा है.

लंका, कुंभकरण और मेघनाद कम होते जा रहे
इसी तरह छावनी क्षेत्र में रावण के पुतलों का व्यापार करने वाले विशाल जैन ने बताया कि शहर में खुली जगह बहुत कम बची है. हमारे क्षेत्र के जीपीओ जैसे शहर में कई मैदान ऐसे हैं जहां पर अब बड़ी इमारते तन गई है. जिससे रावण के व्यवसाय में कमी आई है. आयोजकों को भी अब सिर्फ रावण का ही दहन करना पड़ता है. जबकि पहले रावण दहन के साथ लंका, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का भी दहन किया जाता था. मगर जगह की कमी के चलते अब यह परंपपरा विलुप्त सी हो गई है. लोग अब लंका के साथ ही कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों की मांग नहीं करते है.

गली मोहल्लों में ज्यादा
कुछ सालों से यह भी देखा गया है कि रावण दहन के आयोजन गली मोहल्लों में अधिक बढ़ गए है. जिससे शहर में दस से ज्यादा स्थान ऐसे हैं जहां पर रेडिमेड रावण बनाकर बैचने वालों की संख्या भी अधिक हो गई है .

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