ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रतन टाटा के निधन पर शोक जताया है। सिंधिया ने कहा, बहुत बड़ी क्षति देश को हुई है। एक ऐसे भारत के सपूत को भारत माता ने खोया है, जिस सपूत ने अपनी दृढ़ता, संकल्प और क्षमता के साथ न केवल टाटा समूह का नाम विश्व भर में अंकित नहीं किया, बल्कि भारत के तिरंगे को भी विश्व भर में अंकित किया। वास्तविक तौर में रतन टाटा एक टाइटन थे, उनमें रिस्क लेने की क्षमता थी, उनको यह क्षमता विरासत में मिली थी।
याकेंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा, जमशेदजी टाटा से लेकर जेआरडी टाटा और रतन टाटा से उनके परिवार के चार पीढ़ियों के निकट संबंध रहे हैं। माधव महाराज प्रथम ने जमशेदजी टाटा को टाटा स्टील की स्थापना में मदद की थी। यह बहुत बड़ी क्षति देश में हुई है। बचपन में मैं उनसे मिला था और उसके बाद उनसे निरंतर संबंध रहे। साल 1942 उन्होंने इंडिया में एयर इंडिया की शुरुआत की, जीवाजी राव महाराज का संबंध उनके साथ रहा, जब वह एयर इंडिया ग्वालियर में लेकर आए। रतन टाटा एक पशु प्रेमी भी थे। उनके मुम्बई हेड ऑफिस में केवल उनका डॉग ही नहीं, बल्कि कोई भी डॉग आसानी से आ जा सकता था।
सिंधिया ने याद करते हुए कहा, मेरे फोन में टाटा जी का नंबर है। मैं फ्लाइट में मैं यह सोचकर हैरान था कि अब मैं उनसे कभी बात नहीं कर पाऊंगा। रतन टाटा ने टेटली का अधिग्रहण किया। टाटा नैनो कार प्रोजेक्ट आम आदमी के लिए सस्ती गाड़ी बन पाई। उन्होंने लैंड क्रूजर जैगुआर का अधिग्रहण किया, सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस की स्थापना की। टाटा जी बहुत अच्छे आदमी थे। मेरे 10 साल की उम्र से उनका रिश्ता था। मैं पिताजी के साथ मुंबई में उनसे मिला था, मेरा 40-42 साल का सफर उनके साथ था।
*2016 में सिंधिया स्कूल के स्थापना दिवस में आए थे रतन टाटा*
सिंधिया ने कहा, साल 2016 में सिंधिया स्कूल के स्थापना दिवस में रतन टाटा जी ग्वालियर आए थे। मैंने उनको ग्वालियर में आमंत्रित किया था। उन्होंने 80 साल की उम्र में जिस तरह से एक-एक बच्चे के साथ हमारे स्कूल को कनेक्ट किया। मेरे स्कूल के बच्चे उनके साथ फोटो लेने के लिए उत्सुक थे। मुझे दो साल पहले मेरे परिवार के साथ उनके मुंबई स्थित घर में भोजन करने का अवसर भी मिला। सिंधिया परिवार की अगली पीढ़ी के साथ उनकी मुलाकात हुई। उनका अलग रिश्ता मेरे बेटे महाआर्यमन के साथ रहा। मैं अपने दिल में आज खालीपन महसूस कर रहा हूं।भगवान उनको अपने दरबार में सबसे उच्च स्थान दे।