कहीं भाजपा कार्यकर्ता अति-आत्मविश्वास का शिकार ना हो जाएं

सियासत

भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा बुधवार को इंदौर में थे। यहां ब्रिलिएंट कन्वेंशन में उन्होंने मतदान केंद्र से जुड़े भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद किया। उन्होंने चिंता जताई कि जीत रहे हैं की मानसिकता से भाजपा कार्यकर्ताओं को उभारना होगा। अन्यथा हम अति आत्मविश्वास का शिकार होकर घर बैठ जाएंगे। दरअसल भाजपा को इस बार यही चिंता सता रही है। दरअसल,भाजपा कार्यकर्ताओं में व्याप्त उदासीनता और ओवर कॉन्फिडेंस फैक्टर का मोर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद संभाल लिया है। भाजपा के रणनीतिकारों को पिछले दिनों एक नई चुनौती से रूबरू होना पड़ रहा है। राम मंदिर के निर्माण, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता, लाभार्थी वोट बैंक का व्यापक प्रभाव, विपक्ष का बिखराव और निरंतर मिल रही चुनावी सफलताओं के कारण भाजपा कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास का शिकार होते जा रहे हैं। इस अति आत्मविश्वास के कारण वो लगभग उदासीन हैं और घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं कि चुनाव तो जीत ही रहे हैं !

कार्यकर्ताओं की उदासीनता का एक कारण भारी संख्या में भाजपा की ओर हो रहा दल बदल है। पिछले तीन महीनों में हजारों की संख्या में नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ली है। इस दल बदल से भी ऐसा माहौल बना है कि भाजपा भारी बहुमत से जीत रही है। इस दल बदल से अनेक प्रतिबद्ध कार्यकर्ता खिन्न भी हैं। इसी नाराजगी के चलते भी वे घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कार्यकर्ताओं को सक्रिय और गतिशील बनाने का मोर्चा अपने पास लिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ अन्य संगठन के नेताओं को भी यही जिम्मेदारी दी गई है।

भाजपा संगठन की सक्रियता और गतिशीलता 2 महीने पूर्व तक जितनी तीव्र नजर आ रही थी वैसे गति अब दिखाई नहीं देती। जबकि पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है। यानी प्रथम चरण के चुनाव प्रचार के लिए अब केवल 14 दिन बचे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार कार्यकर्ताओं से संवाद करने वाले हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद प्रत्याशी चयन, चुनावी मुद्दे, चुनाव प्रचार अभियान जैसे मामलों को नियंत्रित कर रहे हैं। भाजपा का मेगा इलेक्शन कैंपेन केवल प्रधानमंत्री की लोकप्रियता और छवि पर ही नहीं चल रहा है बल्कि उनकी रणनीति और संगठन क्षमता का भी फायदा पार्टी को मिल रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 15 वर्षों तक प्रचारक और उसके बाद करीब एक दशक तक भाजपा में संगठन मंत्री रहने के कारण प्रधानमंत्री चुनावी मामलों के जबरदस्त जानकार और विशेषज्ञ हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की भी इन चुनाव में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। अमित शाह कमजोर सीटों पर फोकस कर रहे हैं तो मतदान केंद्र प्रबंधन का काम जेपी नड्डा और बीएल संतोष के जिम्मे है। कुल मिलाकर भाजपा सुपर एक्टिव मोड पर आ गई है। सूत्रों के अनुसार भाजपा चुनाव अभियान की यह गति बरकरार रखना चाहती है लेकिन रणनीतिकारों को कार्यकर्ताओं में व्याप्त उदासीनता की चिंता है। इस बार के चुनाव अभियान के दौरान भाजपा नेतृत्व को एक नए तरह की आशंका से रूबरू होना पड़ रहा है। भाजपा के पक्ष में भारी संख्या में हो रहे दल बदल और विपक्षी दलों के लगातार बिखराव के कारण ऐसा लगता है पार्टी कार्यकर्ता अति आत्मविश्वास का शिकार होते जा रहे हैं।

खबरदार कर रहे शाह-नड्डा

एक आशंका यह भी है कि भारी मात्रा में अन्य दलों के कार्यकर्ताओं के आने अन्य दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के आने से भाजपा संगठन का रसायन गड़बड़ा गया है। नतीजे में मूल निष्ठावान कार्यकर्ता उदासीन होकर घर बैठ गए हैं। पार्टी ने दावा किया है कि 3 महीने के भीतर 80 हजार से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ली है। यह अपने आप में अभूतपूर्व है। पार्टी रणनीतिकारों की चिंता यह है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अच्छे बहुमत के साथ जीत, राम मंदिर का निर्माण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के कारण भाजपा नेता और कार्यकर्ता फील गुड में चल रहे हैं। यह फील गुड कहीं ओवर कॉन्फिडेंस यानी अति आत्मविश्वास में ना बदल जाए इसकी खबरदारी लेने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के सर्वोच्च रणनीतिकार अमित शाह विशेष प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में उनके प्रवास लगातार जारी हैं। जेपी नड्डा द्वारा इंदौर में दी गई नसीहत को इसी संदर्भ में देखना होगा।

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