टोक्यो, 09 अक्टूबर (वार्ता) जापान की संसद (डायट) के निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) को बुधवार को आधिकारिक रूप से भंग कर दिया गया, जिससे आम चुनाव के लिए मंच तैयार हो गया।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा निचले सदन में अपनी पार्टी को बहुमत दिलाने और जनता का विश्वास हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। आम चुनाव 27 अक्टूबर को होने हैं, जिसका प्रचार 15 अक्टूबर से शुरू होगा।
उल्लेखनीय है कि श्री इशिबा ने 27 सितंबर को सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अध्यक्ष चुने गए थे और एलडीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा नियंत्रित संसद में 01 अक्टूबर को प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए थे। यह समय जापान के युद्ध के बाद के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री के पदभार ग्रहण करने और निचले सदन के विघटन के बीच सबसे कम अवधि को चिह्नित करता है।
वर्ष 2023 के अंत में एलडीपी के राजनीतिक फंड घोटाले के सामने आने के बाद से यह पहला आम चुनाव होगा। पिछले सप्ताह संसद में अपने पहले नीतिगत भाषण में 67 वर्षीय इशिबा ने घोटालों की एक श्रृंखला के बाद राजनीति में जनता का विश्वास बहाल करने की कसम खाई और बढ़ती जीवन लागत के बीच जनता को आश्वस्त करने की कोशिश की। जनता के आक्रोश को दूर करने के प्रयास में एलडीपी ने बुधवार को आगामी चुनाव में आधिकारिक उम्मीदवारों के रूप में राजनीतिक फंड घोटाले में उलझे 12 सांसदों का समर्थन नहीं करने का फैसला किया।
निचले सदन के विघटन के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्री इशिबा ने कहा कि जनता की स्वीकृति और सहानुभूति के बिना राजनीति आगे नहीं बढ़ सकती। उन्होंने नई सरकार के तहत क्षेत्रीय पुनरोद्धार जैसी नीतियों को सख्ती से आगे बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की, और वास्तविक मजदूरी बढ़ाने पर काम करते हुए मुद्रास्फीति से निपटने का लक्ष्य रखा।
श्री इशिबा ने पार्टी के वित्त सुधारों, आपदा प्रतिक्रिया और जापान की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के बारे में भी बात की। एलडीपी (जिसने युद्ध के बाद के दौर में जापान पर शासन किया) के पास पहले 465 सदस्यीय निचले सदन में 258 सीटें थीं, और इसने कोमिटो के साथ गठबंधन में शासन किया। कोमिटो के पास 32 सीटें थीं।
मुख्य विपक्षी दल जापान की संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी है, जिसका नेतृत्व पूर्व प्रधानमंत्री योशीहिको नोडा करते हैं, जिसके पास 99 सीटें थीं। चुनाव में एलडीपी के फंडिंग घोटालों, मुद्रास्फीति की प्रतिक्रियाओं और आर्थिक उपायों के बाद राजनीतिक सुधार जैसे प्रमुख मुद्दे उठने की उम्मीद है। विपक्षी दल एलडीपी के प्रभुत्व को कम करने और उनके बीच समन्वय स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तैयार हैं।