* मामला चुरहट तहसील अन्तर्गत नकवेल में फर्जी नामांतरण का , चुरहट एसडीएम से पूर्व में हो चुकी है शिकायत
नवभारत न्यूज
चुरहट 5 अक्टूबर ।बिना रजिस्ट्री के नामांतरण करने का मामला गत माह प्रकाश में आया था, मामले की जानकारी मिलने पर कपुरी बघेलान निवासी अखिलेश सिंह पिता कमलभान सिंह ने एसडीएम चुरहट को शिकायती पत्र सौंपकर जांच की मांग उठाई थीं, लेकिन आज दिनांक तक जब कोई कार्यवाही नहीं की गई तो शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को पत्र सौंपकर जांच कराने की मांग उठाई है। कलेक्टर ने एसडीएम चुरहट को शिकायती पत्र भेजकर कार्यवाही की निर्देश दिए हैं। एसडीएम कार्यालय में कलेक्टर का पत्र पहुंचने के बाद खलबली मच गई है।
उल्लेखनीय है कि चुरहट तहसील में बिना रजिस्ट्री के फर्जी तरीके से नामांतरण का खुलासा अखिलेश सिंह पिता कमलभान की शिकायत के बाद हुआ था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन तहसीलदार मणिराज सिंह बागरी के कार्यकाल के दौरान इस तरह के एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों नामांतरण किए गए हैं, इस पूरे मामले में सरकार को लाखों रुपए की चपत लगीं हैं।
खास बात यह है कि जिले का चुरहट तहसील अपने इस तरह के कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है, बिना टीप कंपाउंड क्रेताओं के नाम भूमि का नामांतरण कर दिया गया है। शिकायतकर्ता अखिलेश सिंह ने अपने शिकायती पत्र में यह उल्लेख किया है कि गुलाब सिंह पिता हीरालाल सिंह निवासी कपुरी बघेलान ने चुरहट तहसील के नकवेल हल्का अन्तर्गत ग्राम नकवेल में आराजी खसरा नंबर 1440/1/1/1 /1/2 रकवा 0.033 हेक्टेयर भूमि संयुक्त रूप से क्रय की गई थी लेकिन गुलाब सिंह द्वारा चोरी छिपे तरीके से संपूर्ण रकवे का नामांतरण करा लिया गया है। बताया गया है कि इस तरह से चुरहट तहसील में तत्कालीन तहसीलदार मणिराज सिंह बागरी द्वारा सैकड़ों लोगों के नाम फर्जी तरीके से नामांतरण किया गया है।
कलेक्टर से बिक्री पर रोक लगाने मांग की गई
शिकायतकर्ता अखिलेश सिंह पिता कमलभान सिंह ने कलेक्टर को सौंपे गए शिकायती पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि फर्जी तरीके से सामूहिक भूमि को अपने नाम करा कर उसे गुपचुप तरीके से बेचना चाहते हैं, जबकि वह भूमि विवादित हैं ऐसे में उक्त भूमि आराजी क्रमांक 140/1/1/1/1/2 को विक्रय करने के फिराक में हैं, ऐसे में उप पंजीयक सीधी को यह निर्देषित किया जाय कि आराजी क्रमांक 140/1/1/1/1/2 रकवा 0.0330 हेक्टेयर ग्राम नकबेल की बिक्री पर रोक लगाई जाए। और जब तक इस प्रकरण का निराकरण नहीं किया जाता तब तक अंतरण लेख पंजीकृत न करें।
तत्कालीन तहसीलदार की कार्यप्रणाली पर खड़े हो रहे सवाल
चुरहट तहसील में पदस्थ रहें तत्कालीन तहसीलदार मणिराज सिंह बागरी के कार्यकाल में इस तरह नियम विरूद्ध तरीके से भूमि के नामांतरण का यह कोई पहला मामला नहीं है, इसके पूर्व भी वायपास निर्माण के दौरान भी कई लोगों के नाम फर्जी तरीके से नामांतरण किया गया था, वायपास नामांतरण में भी बिना रजिस्ट्री के ही भूमि स्वामियों की सहमति पर खुर्दबुर्द कर दिया गया था। यह मामला ईओडब्ल्यू रीवा में पंजीबद्ध है जिसकी जांच जारी है। बता दें कि फर्जी नामांतरण से सरकार को लाखों रुपए की राजस्व छति पहुंची हैं।
इनका कहना है
अगर बिना रजिस्ट्री एवं पर्याप्त आधार के नामांतरण किया गया है तो निरस्त किया जावेगा एवं जो भी इसमें दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शैलेश द्विवेदी
एसडीएम चुरहट।