पर्यावरण प्रेमियों को मातारानी की इको फ्रेंडली मूर्ति बनी पहली पसंद

मुरैना, 03 अक्तूबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुरैना जिला मुख्यालय पर शारदीय नवरात्रि की आज से शुरुआत हो चुकी है, मूर्तिकारों ने माता दुर्गा देवी की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देकर सजा लिया है, भक्तों ने आज ढोल नगाड़ों और भक्तिमय भजनों के साथ प्रतिमा स्थापित की जा रही हैं।

मूर्तिकार बासु राठौर ने बताया कि वे पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मिट्टी की मूर्तियां बनाए हैं। मुरैना के ग्राम बड़ोखर निवासी मूर्तिकार बासु राठौर ने बताया कि पर्यावरण प्रेमियों की पहली पसंद मिट्टी से बनी माता रानी की मूर्ति है। वे मिट्टी, बांस, घास-फूस और कच्चे कलर का उपयोग कर माता रानी के 9 रूपों की प्रतिमा बनाए हैं, ताकि विसर्जन के दौरान पानी में मिट्टी आराम से घुल जाए और कलर से पानी प्रदूषित न हो।

जानकारी के अनुसार सन 2013 में प्रशासन ने पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसके बाद उन्होंने कोलकाता से विशेष कलाकारों को बुलाया था और मिट्टी की मूर्ति तैयार की थी। लगातार 12 सालों से वे इको फ्रेंडली मूर्ति बना रहे हैं। पहले साल केवल 7 मूर्ति बनाई थीं, लेकिन इको फ्रेंडली मूर्ति लोगों की पहली पसंद होती गई और उनका काम बढ़ता गया, जिससे इस साल करीब 150 से अधिक मूर्ति बनाए गए हैं।

आचार्य विष्णु बाबा शास्त्री ने बताया, गणेशपूरा में 36वां नवरात्रि महोत्सव मनाया जा रहा है। इस बार माता अपने उग्र रूप में आ रही है। गणेशपुरा 2006 के बाद एक बार फिर सहस्त्र चंडी पाठ का आयोजन किया जा रहा है। आगामी 9 दिन तक सहस्त्र चंडी यज्ञ का आयोजन किया गया है, जिसमें 1000 से अधिक दुर्गा पाठ किए जाएंगे। वहीं, पाठ करने के लिए 31 ब्राह्मण रहेंगे और 25 यजमान उपस्थित रहेंगे।

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