नवभारत
बागली। भाद्र माह 16 दिवस तक श्राद्ध पक्ष के साथ-साथ मां पार्वती का स्वरूप लोक देवी सजां माता की आकृति बनाकर प्रत्येक शाम को पूजा की जाती रही। अंतिम दिन संजा माता की विधि विधान से पूजन करते हुए विदाई दी। 16 दिन तक चलने वाली पूजा पाठ में निकले हुए पुष्प और अन्य सामग्री को सम्मान पूर्वक रखकर पवित्र नदियों में विसर्जन किया गया। विसर्जन के पूर्व संजां माता के गीत गाकर आरती करते हुए भावभीनी विदाई दी गई। जिन लड़कियों की शादीया हो गई है वह अपने अपने ससुराल आई और संजा माता व्रत को उजमाते हुवे श्रृंगार की 16 वस्तुएं कुंवारी कन्याओं को दान स्वरूप देकर इस व्रत को निभाया। मान्यता है कि कुंवारी लड़कियां भद्र महीने में श्राद्ध पक्ष के 16 दिन तक सजां माता की पूजा करती है तो उन्हें अच्छा घर एवं अच्छा वर मिलता है। इसी कामना के साथ मालवा एवं निमाड़ क्षेत्र में यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोक संस्कृति के इस पर्व को स्कूली संस्थानों में भी मनाया गया।