नयी दिल्ली, (वार्ता) रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली पहली छमाही में देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि की बदौलत विविध क्षेत्रों में कारोबार कर रही ऐसी कंपनियों में ऐसी कंपनियों के अनुपात में उछाल आया है जिनकी क्रेडिट रेटिंग (वित्तीय साख का स्तर) में सुधर हुआ है।
क्रिसिल रेटिंग के लगभग 900 कंपनियों के विश्लेषण पर आधारित मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार पहली छमाही में क्रेडिट अनुपात (वित्तीय साख में सुधार और गिरावट वाली कंपनियों के बीच का अनुपात) 2.75 गुना रहा जो पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 1.79 गुना था। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह भारत कार्पोरेट जगत की क्रेडिट गुणवत्ता में निरंतर मजबूती को दर्शाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बार पहली छमाही में कुल मिलाकर, 506 कंपनियों की वित्तीय साख का स्तर ऊँचा किया गया जबकि 184 को नीचे रखा गया। इस दौरान साख में सुधार की वार्षिक दर 14.5 प्रतिशत रही जो पिछले एक दशक की लगभग 11 प्रतिशत की औसत दर से ऊपर है।
इसी तरह इस दौरान साख में गिरावट की दर वार्षिक स्तर पर 5.3 प्रतिशत रही जो एक दशक के औसतन 6.5 प्रतिशत से कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान 80 प्रतिशत मामलों में साख को पुराने स्तर पर स्थिर रही।
क्रिसिल रेटिंग्स के प्रबंध निदेशक सुबोध राय ने कहा, “रेटिंग अपग्रेड (सुधार) डाउनग्रेड (गिरावट) से आगे निकल गए, जो लचीले घरेलू विकास को दर्शाता है, जिसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सरकार के निरंतर नीतिगत समर्थन, ग्रामीण उपभोग मांग में सुधार और कम कॉर्पोरेट बैलेंस शीट से समर्थन मिला है।” रिपोर्ट के अनुसार रेटिंग सुधार के 38 प्रतिशत मामले बुनियादी ढांचे और इससे जुड़े क्षेत्रों की कंपनियों के रहे। रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और सड़क परियोजनाओं के विकास में लगी कंपनियों में परियोजना जोखिम में कमी आयी है, ऑर्डर निष्पादन सुधरा है और पूंजीगत सामान के क्षेत्र में ऑर्डर बुक मजबूत हुई है।
साख में गिरावट से प्रभावित क्षेत्रों में कृषि उत्पाद और कपड़ा क्षेत्र में कंपनियों की प्राप्तियों में अस्थिरता है और उन्हें वैश्विक मांग में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार महामारी के दौरान पूंजीगत व्यय में तेज गिरावट के बाद अब इसमें सुधार के संकेत दिख रहे हैं पर कर्ज और शेयर पूंजी का अनुपात 0.5 गुना से कम रहने की संभावना है।
पूंजीगत व्यय की तीव्रता ( जिसे एबिटा1 पर पूंजीगत व्यय) मध्यम बनी हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 में यह दर लगभग 50 प्रतिशत पर है जबकि 2016 के दौरान यह दशक के उच्चतम 72 प्रतिशत पर थी।
वैश्विक अनिश्चितताओं, नियामकीय सख्ती और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर में पिछले साल की तुलना में कमी के बीच क्रिसिल कहा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में बैंकों के कर्ज कारोबार की वृद्धि सालाना आधार पर लगभग 14 प्रतिशत रहेगी। यह इससे पिछले वर्ष के 16 प्रतिशत के ऊंचे तुलनात्मक आधार के कारण नरम दिखती है, पर यह एक स्वस्थ दर है।
क्रिसिल के अनुसार बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन इस वित्त वर्ष में प्रतिशत 0.10 से 0.20 अंक कम हो सकता है लेकिन धन की लगात कम होने से बैंकों का लाभ ठीक रहेगा। गैर-बैंकिंग कंपनियों के ऋण कारोबार में वृद्धि पिछले वित्त वर्ष के लगभग 20 प्रतिशत की तुलना में 17 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि माइक्रोफाइनेंस ऋणों की परिसंपत्ति गुणवत्ता तनाव के शुरुआती संकेत दिखा रही है और इसलिए उनकी की ऋण लागत में वृद्धि होने की संभावना है।