सियासत
हाल ही में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक के सांसद प्रतिनिधियों को लेकर विवाद हुआ. वीरेंद्र खटीक द्वारा नियुक्त सांसद प्रतिनिधि अनेक गैर कानूनी कृत्यों में लिप्त पाए गए. ऐसे में उनका स्थानीय विधायकों ने विरोध किया. विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री को अपने सभी सांसद प्रतिनिधियों की नियुक्ति रद्द करनी पड़ी. इधर हरदा में एक नया मामला सामने आया. चार बार के विधायक रहे पूर्व मंत्री कमल पटेल को बैतूल के सांसद और केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उईके ने हरदा नगर पालिका के लिए सांसद प्रतिनिधि मनोनीत किया. प्रदेश में यह पहला मामला है जब इतने वरिष्ठ नेता ने सांसद प्रतिनिधि बनना स्वीकार किया हो. दरअसल इसके पीछे कमल पटेल की रणनीति यह थी कि वह नगर परिषद और जिला परिषद की बैठक में हिस्सा नहीं ले पा रहे थे.
जबकि अधिकांश विकास कार्यों की मंजूरी इन्हीं बैठकों में होती है. ऐसे में उन्होंने खुद को सांसद प्रतिनिधि नियुक्त करवाया. उनकी नियुक्ति की चर्चा पूरे प्रदेश में छाई रही. इंदौर संभाग के सभी सांसद भाजपा के हैं. यहां भी अनेक भाजपा नेताओं ने शिकायत की है कि सांसद प्रतिनिधि पद पर ऐसे व्यक्तियों को नियुक्त किया गया है जिन्होंने कभी बीजेपी के लिए काम नहीं किया. दरअसल इंदौर संभाग के सभी सांसद भाजपा के हैं. खासतौर पर अलीराजपुर जिले में यह विवाद ज्यादा सामने आए. इसके अलावा देवास के सांसद द्वारा नियुक्त प्रतिनिधियों के मामले में भी शिकायत प्रदेश नेतृत्व को गई हैं. इन सभी मामलों को प्रदेश नेतृत्व के संज्ञान में लाया गया है. सूत्रों का कहना है कि भाजपा का संगठन सांसद प्रतिनिधियों के मामले में विस्तृत समीक्षा कर एक दिशा निर्देश जारी कर सकता है.