सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में पेश की गयी जानकारी
जबलपुर। सरकार के द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट में बताया गया साल 2024 में दो जंगली हाथियों को पकडा गया था। जिसमें से दस वर्षीय हाथी को शीघ्र छोड दिया जायेगा। दूसरे हाथी कर उम्र 25 साल है और उसकी ट्रेनिंग में कुछ समय लगेगा। इसके बाद उसे भी छोड दिया जायेगा। हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल तथा जस्टिस देव नारायण मिश्रा ने याचिका पर अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित की है।
रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने याचिका में कहा है कि जंगली हाथी संरक्षित वन्य प्राणियों की प्रथम सूची में आते हैं, और पकड़े जाने के बाद उन्हें टाइगर रिजर्व में भेजकर ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान इन हाथियों को यातनाओं का सामना करना पड़ता है, जबकि केंद्रीय पर्यावरण विभाग की गाइडलाइन्स के अनुसार जंगली हाथियों को पकड़ना अंतिम विकल्प होना चाहिए। मध्य प्रदेश में जंगली हाथियों को पकड़कर टाइगर रिजर्व में भेज दिया जाता है। अंतिम विकल्प को पहले विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया था कि छत्तीसगढ़ से जंगली हाथियों के झुंड मध्य प्रदेश के जंगलों में प्रवेश करते हैं। भोजन की तलाश में किसानों की फसलें बर्बाद कर देते हैं। घरों में तोड़फोड़ करते हैं। कई घटनाओं में जंगली हाथियों ने लोगों पर हमला किया है, जिससे कुछ की मृत्यु भी हो गई है। प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर फॉरेस्ट (पीसीसीएफ) वाइल्ड लाइफ के आदेश पर ही हाथियों को पकड़ा जा सकता है।
याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने सरकार को तीस साल में पकड़े हाथियों का ब्योरा प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। सरकार की तरफ से उक्त जानकारी के अलावा यह भी बताया गया कि साल 2017 से अभी तक दस जंगली हाथियों को पकडा गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की।