आज के समय में स्वार्थी मित्रों से दूर रहें: पंडित कौशिक
ग्वालियर. चेतकपुरी स्थित विजयानगर एक्सटेंशन मैं श्रीमती एवं श्री रामचंद्र माखीजा (पूर्व पार्षद) की स्मृति में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में श्रीमद् भागवत कथा में सुप्रसिद्ध भागवताचार्य पं. सतीश कौशिक महाराज ने कहा कि हमेशा स्वार्थी मित्रों से दूर रहना चाहिए ऐसा मित्र जो वचन देने पर भी पुरा ना करें ऐसे मित्रों को से दूरी बना लेना चाहिए केवल खुद का स्वार्थ देखें दूसरे मित्र से कोई लेना देना नहीं है उसका बुरा हो अच्छा हो केवल अपना भला देखने बाला ऐसे मित्रों से हमेशा दूरी बना कर रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज कृष्ण और सुदामा जैसे मित्र दुर्लभ है लोग देखते हैं कि हमारा मित्र अमीर है लोग मित्रता करना प्रारंभ कर देते हैं गरीब से कोई मित्रता करता नहीं है। शास्त्री ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जी से समझा जा सकता है। सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे लेकिन द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं, इसपर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे। सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। कृष्ण सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया। जब भी भक्तों पर विपदा आई है। प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं। विजयानगर में चल रही सात दिवसीय कथा शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई।
आज श्रद्धालुओं ने व्यास पीठ से आशीर्वाद लिया। रक्त समर्पण सेवा समिति ने भागवत आचार्य जी का स्वागत किया एवं आशीर्वाद प्राप्त किया
आज की कथा मे क्षेत्रीय सांसद भारत सिंह कुशवाहा ने आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। कृष्ण सुदामा मित्रता चित्रण के अवसर पर पंडाल में उपस्थित सभी लोगों ने श्रीमद् भागवत भगवान की आरती की।