केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजस्व खुफिया निदेशालय डीआरआई के 65वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक महत्वपूर्ण बात कही. उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल ‘बड़ी मछलियों’ पर कार्रवाई करें.उन्होंने कहा कि यह पता लगाने की जरूरत है कि बहुत मात्रा में नशीले पदार्थों को कौन भेज रहा है.वित्त मंत्री का इस अवसर पर यह कहना भी महत्वपूर्ण था कि राजस्व खुफिया अधिकारियों को प्रत्येक मामले को जल्द से जल्द तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि तस्कर आपसे अधिक चालक न हों. दरअसल, नशीले पदार्थों के पाउच या एक किलोग्राम कोकीन के साथ किसी को पकड़ लेना पर्याप्त नहीं है. देश में नशीले पदार्थों के पहाड़ को कौन भेज रहा है, जो इसके लिए पैसे लगा रहा है… और इसे संभव बना रहा है, उसे पकडऩा होगा.पिछले हफ्ते गुजरात में लगभग 478 करोड़ रुपये की 143 किलोग्राम ड्रग्स जब्त की गई थी. वास्तव में तो डीआरआई अधिकारियों को मुख्य अपराधियों तक पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैश्विक समन्वय पर अधिक जोर देना चाहिए. दरअसल, भारत में पिछले तीन सालों में ड्रग्स का बाजार 455 फीसदी तक बढ़ गया, जोकि चिंतित करने वाला आंकड़ा है.देश के 2.1 प्रतिशत लोग गैरकानूनी नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, जिसमें मिजोरम पहले, पंजाब दूसरे और दिल्ली तीसरे नंबर पर हैं. 44 प्रतिशत ड्रग एडिक्ट्स नशा छोडऩे की कोशिश करते हैं, लेकिन उनमें से 25 प्रतिशत को ही इलाज मिल पाता है. करीब एक करोड़ 3 लाख लोग गांजा या चरस का सेवन करते हैं. नशा करने वाले सबसे ज्यादा लोग सिक्किम में हैं. दूसरे नंबर पर ओडिशा और लिस्ट में तीसरा नंबर दिल्ली का है.अलग-अलग एजेंसियों का अनुमान है कि भारत में इसका सालाना अवैध कारोबार लगभग 10 लाख करो? रुपए का है. राज्य सभा में पेश किए गए राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीबी) के नशे संबंधी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर दिन ड्रग्स या शराब के चलते 10 मौतें या आत्महत्याएं होती हैं. इनमें से केवल एक मौत पंजाब में होती है. इन आंकड़ों के मुताबिक ड्रग्स की लत से जुड़ी सबसे ज्यादा आत्महत्याएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल में होती हैं.बहरहाल, इस पूरे परिपेक्ष में निर्मला सीताराम का कहना बिल्कुल सही है कि बड़े ड्रग्स माफियाओं पर कार्रवाई करना जरूरी है. छोटी छोटी कार्रवाइयों से कुछ नहीं होने वाला हैं. इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों को आपस में तालमेल करना होगा. नशे के कारण हमारी युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है. युवाओं का बर्बाद होना देश की सबसे बड़ी क्षति है. इसके अलावा नशे के कारोबार का उपयोग आतंकवादी भी कर रहे हैं. नशे का कारोबार टेरर फंडिंग का बड़ा जरिया है. इसलिए भी इस कारोबार पर लगाम कसना जरूरी है. बहरहाल,इस कारोबार पर अंकुश तभी लग सकता है जब बड़े ड्रग्स माफिया यानी बड़ी मछलियां काबू में आएंगी. आशा की जानी चाहिए कि निर्मला सीतारमण द्वारा ध्यान दिलाए जाने के बाद डीआरआई अब बड़ी मछलियों को पकडऩे की कोशिश करेगी.