वामपंथी रुझान वाले दिसनायके ने श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद राष्ट्रीय एकता का किया आह्वान

कोलंबो, 22 सितंबर (वार्ता) श्रीलंका के पचपन वर्षीय वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को रविवार को देश के नौवें कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। जो कि छोटे से द्वीप राष्ट्र के सर्वोच्च पद के दावेदार का फैसला करने के लिए अभूतपूर्व दूसरी वरीयता गणना के बाद हुआ।

देश के चुनाव आयोग ने औपचारिक रूप से नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) नेता दिसनायके को शनिवार को हुए चुनाव के विजेता के रूप में नामित किया।

‘डेली मिरर’ के अनुसार पांच साल पहले मतदान में तीन प्रतिशत से भी कम वोट प्राप्त करने के बाद दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ते हुए, श्री दिसनायके ने समागी जन बालवेगया (एसजेबी) पार्टी के उम्मीदवार साजिथ प्रेमदासा को जो उनसे दो साल वरिष्ठ हैं को दस लाख बीस हजार वोटों के अंतर से हराया। उनके सोमवार को शपथ लेने की संभावना है।

श्री दिसनायके ने अपनी जीत के तुरंत बाद राष्ट्रीय एकता और एक नए पुनर्जागरण का आह्वान किया और कहा, “हम श्रीलंकाई इतिहास को फिर से लिखने के लिए तैयार हैं।”

श्री दिसनायके ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर कहा, “आशा और अपेक्षा से भरी लाखों आँखें हमें आगे बढ़ाती हैं, और हम एक साथ मिलकर श्रीलंकाई इतिहास को फिर से लिखने के लिए तैयार हैं। इस सपने को नई शुरुआत से ही साकार किया जा सकता है। सिंहली, तमिल, मुस्लिम और सभी श्रीलंकाई लोगों की एकता इस नई शुरुआत का आधार है,।”

“सदियों से हमने जो सपना संजोया है वह आखिरकार सच हो रहा है। यह उपलब्धि किसी एक व्यक्ति के काम का परिणाम नहीं है, बल्कि आप हजारों लोगों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।

उन्होंने कहा, “आपकी प्रतिबद्धता हमें यहां तक ​​ले आई है और इसके लिए मैं बहुत आभारी हूं। यह जीत हम सभी की है।’

जेवीपी कैडरों द्वारा किए गए बलिदानों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “यहां हमारी यात्रा कई लोगों के बलिदानों से प्रशस्त हुई है जिन्होंने इस उद्देश्य के लिए अपना पसीना, आंसू और यहां तक ​​कि अपना जीवन भी दिया। उनके बलिदानों को भुलाया नहीं जा सकता।”

उन्होंन कहा , “हम जिस नए पुनर्जागरण की तलाश कर रहे हैं वह इस साझा ताकत और दृष्टि से उभरेगा। आइए हम हाथ मिलाएं और इस भविष्य को एक साथ आकार दें,।”

इससे पहले पहली गिनती में किसी भी उम्मीदवार को लोकप्रिय जनादेश का 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल नहीं होने के बाद चुनाव अधिकारियों को दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती करनी पड़ी थी।

भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दे पर लड़ने वाले श्री दिसनायके ने पहले दौर की गिनती में 50 लाख 60 हजार या 42.3 प्रतिशत हासिल करके शीर्ष स्थान हासिल किया और दूसरे स्थान पर रहे प्रेमदासा पर 9.5 प्रतिशत की बढ़त बनाई।

विपक्ष के नेता प्रेमदासा को 4 लाख 36 हजार वोट या कुल मतदान का 32.8 प्रतिशत वोट मिले, जबकि मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को केवल 20 लाख 30 हजार मत या 17.3 प्रतिशत मत मिले।

‘इकोनॉमीनेक्स्ट’ के अनुसार चुनाव आयोग के अध्यक्ष आर.एल.ए.एम.रथनायके ने पहली गिनती समाप्त होने के बाद कहा, “दिसानायके ने शीर्ष स्थान हासिल किया है और प्रेमदासा को दूसरे सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। ”

इस प्रकार विक्रमसिंघे, एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे, दौड़ से बाहर हो गए।

पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे केवल 0.7 प्रतिशत वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे।

अनुमान है कि 1 करोड 70 लाख से अधिक योग्य श्रीलंकाई लोगों में से 75 प्रतिशत ने अगले पांच वर्षों के लिए अपने राज्य के प्रमुख का चुनाव करने के लिए शनिवार को शांतिपूर्वक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग किया।

दो साल से कुछ अधिक समय पहले आई आर्थिक तबाही के बाद श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल मचने के बाद पहले चुनाव में रिकॉर्ड 38 उम्मीदवारों ने देश के सर्वोच्च पद के लिए प्रतिस्पर्धा की।

तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जुलाई 2022 में विदेश भागना पड़ा क्योंकि देश में अभूतपूर्व भोजन और ईंधन की कमी देखी गई और अपने ऋणों पर चूक हुई। तब से विक्रमसिंघे ही देश का संचालन कर रहे थे।

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