जांच कार्यवाही न होने से बनी लापरवाही, क्षमता से ज्यादा छोटे वाहनों में बैठाए जा रहे छात्र
सीधी : स्कूली वाहनों के संचालन में सुरक्षा मापदंडों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। स्कूली वाहनों के लिए जो सुरक्षा मापदंड निर्धारित किए गए हैं उनका पालन होता नहीं दिख रहा है। जिले की 90 प्रतिशत निजी स्कूलें राजनैतिक संरक्षण में संचालित हो रही हैं। इसी वजह से इनके वाहनों पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती। अगर विभाग द्वारा निरीक्षण शुरू भी किया जाता है तो नेताओं के फोन अधिकारियों के पास बजने लगते हैं। इसी वजह से अधिकारियों द्वारा स्कूली वाहनों की न तो जांच की जाती और न ही कमी मिलने पर कोई कार्यवाही हो पाती है।
इसी लापरवाही के चलते ही अभी कुबरी में बड़ा सड़क हादसा भी सामने आया था।
जिसको लेकर चक्काजाम आंदोलन तक लोगों को करना पड़ा। तब जाकर स्कूल बस के आरोपी चालक के विरूद्ध आपराधिक मामला पंजीबद्ध कर गिरफ्तारी की गई। जिला मुख्यालय में ही नजर दौड़ाई जाय तो कई अनफिट स्कूली बसें दौड़ती हुई दिखाई दे जाती हैं। स्कूलों के छोटे वाहनों में भी बच्चों को ठूंस-ठूंसकर बैठाया जाता है। स्कूली बच्चों को लाने एवं ले जाने के कार्य में दर्जनों आटो रिक्शा भी लगे हुए हैं। जिनके द्वारा छोटे बच्चों को लापरवाहीपूर्वक ठूंस-ठूंसकर बैठाया जाता है। इस पर न तो अभिभावक ध्यान दे रहे हैं और न ही स्कूल। यदि किसी दिन कोई हादसा हो जाएगा तो उस दौरान अभिभावक भी चिल्लाने लगेंगे और स्कूल प्रबंधन भी अपनी लापरवाही को लेकर बचाव करना शुरू कर देगा। जानकारों के अनुसार जिले के कस्बाई एवं ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्कूल वाहनों में तो और भी ज्यादा लापरवाही बनी हुई है।
अधिकांश स्कूली वाहनों के पास फिटनेस नहीं है। इनके अंदर न तो सीसीटीव्ही कैमरे लगे हुए हैं और न ही फस्र्ट एड बॉक्स है। अभिभावक भी अपने छोटे बच्चों के मैजिक एवं आटो रिक्शा में स्कूल भेज रहे हैं। मैजिक एवं आटो रिक्शा में जाने वाले बच्चे सबसे ज्यादा परेशान नजर आते हैं। ज्यादा से ज्यादा बच्चों को बैठाने के लिए मैजिक एवं आटो रिक्शा में उन्हे ठूंस-ठूंसकर बैठाया जाता है। नौनिहाल स्कूल जाते एवं आते वक्त भारी भरकम बैग भी लेकर असुरक्षित रूप से आटो रिक्शा एवं मैजिक में लिए रहते हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि कभी भी यह हादसे के शिकार हो सकते हैं। आटो रिक्शा चालक काफी तेज रफ्तार से लापरवाहीपूर्वक स्कूली बच्चों को लेकर चलते हैं। स्पीड ब्रेकर एवं ऊबड़-खाबड़ रास्तों में भी आटो रिक्शा चालक अपनी बाजीगीरी दिखाते हुए नजर आते हैं।
जिस तरह से स्कूली वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर बड़ी लापरवाही देखी जा रही है उससे कभी भी नौनिहाल हादसे के शिकार हो सकते हैं। उस दौरान जिम्मेदारों को भी सही तरीके से जवाब देते नहीं बनेगा। दरअसल स्कूल से संबद्ध वाहनों के लिए भारी भरकम शुल्क प्रबंधन द्वारा वसूला जाता है। लेकिन एक ही सीट में कई बच्चों को बैठाया जाता है जिससे बच्चों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। जो आटो रिक्शा एवं मैजिक स्कूली बच्चों को स्कूल लाते एवं घर पहुंचाते हैं उनमें सुरक्षा को लेकर और भी ज्यादा लापरवाही देखी जा रही है। अभिभावकों से ज्यादा से ज्यादा शुल्क वसूलने के बाद भी आटो चालक एक साथ दर्जनों बच्चों को ठूंस-ठूंसकर बैठाते हैं। इस वजह से छोटे बच्चों को स्कूल और घर के बीच आटो रिक्शा में सफर के दौरान काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती है। हैरत की बात तो यह है कि ओव्हरलोड आटो रिक्शा में अभिभावक भी अपने बच्चों को खुशी-खुशी बैठाते हैं। उनके द्वारा यह नहीं देखा जाता कि ओव्हरलोड आटो रिक्शा में सफर करने के दौरान यदि कोई हादसा हो तो उस दौरान क्या होगा।
स्कूल वाहनों के संचालन में ये हैं जरूरी
स्कूल वाहनों के संचालन में कई सुरक्षा मानकों को निर्धारित किया गया है। इनमें सीसीटीव्ही कैमरा, जीपीएस ट्रैकर, अग्निशमन यंत्र, मेडिकल किट, वाहन का परमिट, फिटनेश सार्टिफिकेट, प्रदूषण वैधता प्रमाण पत्र, ड्राइविंग लायसेंस, एक पुरूष एवं महिला हेल्पर, साइड में तीन पाइप होनी चाहिए। सीट बेल्ट होनी चाहिए। बस के पीछे स्कूल का नाम और मोबाइल नम्बर लिखे होने चाहिए, स्पीड गर्वनर लगा होना चाहिए। बस की वैधता होनी चाहिए, ड्राइवर का पुलिस व्हेरिफिकेशन होना चाहिए। चालक को कम से कम पांच साल का वाहन चलाने का अनुभव होना चाहिए। स्कूल बस पीले रंग से पेंट होनी चाहिए।