सुबह ठीक 6 बजे तेज कदम से निकल पड़े अपने काफिले के साथ
सूर्यकुमार ओस्तवाल/ सुशील तिवारी
सांवेर:मंगलवार की सुबह साढ़े 5 बजे सांवेर का पुराना बायपास मार्ग कुछ एलईडी की रौशनी के कारण अंधकारमय तो नहीं था किन्तु कुछ ही दूरी पर खड़े व्यक्ति की पहचान नहीं हो पा रही थी. इतना मुंह अँधेरा तो था ही. यहीं पर बसाई गई राहुल गाँधी और उनके साथ के भारत यात्रियों की अस्थाई बस्ती में हलचल मची हुई थी. चूँकि सांवेर के मेन तिराहे से लेकर उज्जैन रोड़ बायपास तक वाहनों का आवागमन रोक दिया गया था तो राहुल गाँधी के कैंप की ओर लोगों के हुजूम पैदल ही चले जा रहे थे .6 बजने के कुछ देर पहले सुरक्षा बलों और उनके वाहनों की पुराने बायपास पर ताबड़तोड़ आमद होने लगती है. ठीक 6 बजते ही राहुल गाँधी कैंप से बाहर आकर सुरक्षा घेरे में आकर तेज कदम से उज्जैन की ओर निकल पड़े.
आगे आगे रोज की तरह केरला का बैंड , कांग्रेस सेवादल की गणवेशधारी टुकड़ी और उनके बाद सुरक्षा वाहनों के रेला रोज की तरह चल रहा था. राहुल का काफ़िला पुराने बायपास से फोरलेन तक कुछ ही देर में जा पहुंचा और तब भी अँधेरा बरकरार था. दूसरी ओर सांवेर क्षेत्र के लोगों और कांग्रेसजनों के अलावा उज्जैन और अन्य स्थनों से भी सैंकड़ों कांग्रेसी यहां सुबह 5 बजे ही आ चुके थे जिससे फोरलेन पर यात्रा पहुँचने के साथ ही जबरजस्त काफ़िला बन चुका था. सांवेर के चार किमी दूर बड़ोदियाखान गाँव पहुँचते-पहुँचते उजाला हो चुका था. यहाँ सांवेर एसडीएम रविश श्रीवास्तव, एसडीओपी पंकज दीक्षित और टीआई मोहन मालवीय माहौल पर नजर रखे खड़े दिखाई दिए.
राहुल को चित्र देने दौड़े युवा
राहुल की तेज चाल से साथ चल रहे कुछ ही लोग कदम मिला पा रहे थे वरना अधिकतर को साथ बने रहने के लिए एक तरह से दौड़ना ही पड़ रहा था. राहुल की एक नजर अपने ऊपर पड़ जाए इस लालसा में क्या युवा और क्या अधेड़ सभी लोग राहुलजी, राहुलजी पुकारते हुए दौड़े चले जा रहे थे. ध्यान राहुल की नजरे इनायत की चाह में होने से कई लोगों को उबड़ खाबड़ रोड़ डिवाईडर पर गिरते पड़ते देखा गया. किन्तु उठकर फिर उसी तरह भागते नजर आए. कई लोग राहुल के चित्र वाली तस्वीरें या स्मृति चिन्ह हाथ में लेकर दौर रहे थे कि राहुल को हाथों में देकर उनके साथ तस्वीर खिंचवा लें मगर ऐसे अभी उत्साहीजनों को निराशा हाथ लगी कि उन्हें राहुल ने तवज्जों नहीं दी.
डॉक्टरों ने बताई पीड़ा
अन्य रास्ते में कई स्थानों पर राहुल के स्वागत में मंच लगाए गए थे किन्तु वे किसी भी मंच पर नहीं गए. किठोदा फांटे के आगे चार युवा डॉक्टरों ने काफिले में घुसकर राहुल को अपनी पीड़ा बताई. तेज रफ्तार राहुल का काफ़िला मात्र 40 मिनिट में सांवेर से 7 किमी दूर पंथपिपलाई जा पहुंचा था . जहाँ उज्जैन जिले की सीमा प्रारंभ हो जाने से भारी संख्या में उज्जैन की ओर के कांग्रेस नेता भी आगवानी के लिए भीड़ लेकर पहुँच गए थे.
कमलनाथ कार में सवार रहे
सांवेर से राहुल गाँधी के साथ कदमताल करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजसिंह, युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीव्ही, पूर्व मंत्रीगण जीतू पटवारी, जयवर्धनसिंह, सचिन यादव, इंदौर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव और उज्जैन के विधायक रामलाल मालवीय , महेश परमार, दिलीप गुर्जर आदि साथ चले जा रहे थे जबकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कार में सवार होकर राहुल गाँधी के पीछे पीछे रोड़ शो की शक्ल में हाथ हिलाते सड़क के दोनों ओर खड़े लोगों का अभिवादन करते हुए जा रहे थे.
योगेंद्र यादव का अलग अंदाज
राहुल गाँधी के सुरक्षा घेरे के बाहर रहकर आगे आगे कुछ लोग हाथ में राष्ट्रध्वज तिरंगा और एक बैनर लेकर पैदल चलते नजर आते हैं. नागरिक समाज और लेखक कलाकारों की इस टुकड़ी में एक जाना पहचाना चेहरा सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव का नजर आता है. योगेंद्र यादव बोले कि कन्याकुमारी से राहुल गाँधी के साथ वे भी भारत जोड़ने के संदेश लेकर निकले हैं. उत्तरप्रदेश के मेरठ के एक 74 वर्षीय बुजुर्ग सतपाल सुबह साढ़े पक् बजे यात्रा के आगे आगे झोले में पर्चे बाँटते नजर आए. चार पेज के पर्चे में भारत जोड़ो यात्रा के उद्देश्य बताए गए है, बुजुर्ग बोले कि ये कांग्रेस के सदस्य नहीं है केवल राहुल गाँधी की देश के प्रति सोंच और निष्ठां को जानकर तेलंगाना जाकर यात्रा में शामिल हुए है .