नागरिक कर्तव्यों का पालन हमारे जीवन का मूल आधार है: डॉ.गीता

० संघ के पंच परिवर्तन के कार्यो पर व्याख्यान माला का आयोजन

नवभारत न्यूज

सीधी 18 सितम्बर। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ स्वधीनता के पूर्व से ही व्यक्ति निर्माण के माध्यम से सामाजिक उत्थान के कार्य में सतत् योगदान देता आ रहा है। भारतीय संस्कृति के सजग प्रहरी के रूप में संघ के स्वयंसेवक समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सदैव अपना योगदान देते आये है।

समृद्ध भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों के चिंतन हेतु सीधी जिले में व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.गीता भारती प्राचार्य शासकीय वाणिज्य एवं कला महाविद्यालय मझौली तथा मुख्य वक्ता के रूप में वृंदावन शुक्ला अधिवक्ता रीवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य शामिल हुये। उपरोक्त व्याख्यान में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता ने नागरिक कर्तव्यों के पालन, संघ के षताब्दी वर्ष पर निर्धारित पंच परिवर्तन जिसमें कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, स्वदेशी एवं नागरिक शिष्टाचार शामिल है, पर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। मुख्य वक्ता ने कहा कि भारत में हाल ही के समय में देश की संस्कृति की रक्षा करना, एक सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरा है। संभावना से युक्त व्यक्ति हार में भी जीत देखता है तथा सदा संघर्षरत रहता है। अत: पंच परिवर्तन उभरते भारत की चुनौतियों का समाधान करने में समर्थ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले कहते हैं कि बौद्धिक आख्यान को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से बदलना और सामाजिक परिवर्तन के लिए सज्जन शक्ति को संगठित करना संघ के मुख्य कार्यों में शामिल है। इस प्रकार पंच परिवर्तन आज समग्र समाज की आवश्यकता है। नागरिक कर्तव्यों के पालन हेतु सामाजिक जागृतियां ये सभी मुद्दे बड़े पैमाने पर समाज से संबंधित हैं। दूसरे इन विषयों को व्यक्तियों, परिवारों और संघ की शाखाओं के आसपास के क्षेत्रों को संबोधित करने की आज सबसे अधिक आवश्यकता है। इसे व्यापक समाज तक ले जाने की आवश्यकता है। यह केवल चिंतन और अकादमिक बहस का विषय नहीं है बल्कि कार्यवाही और व्यवहार का विषय है। उन्होंने सप्तसती होल्कर वंश राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के 300वीं त्रिशताब्दी जन्म जयंती वर्ष के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाष डालते हुये कहा कि राजमाता अहिल्याबाई मालवा साम्राज्य की रानी थीं। उन्हें भारत की सबसे दूरदर्शी महिला शासकों में से एक माना जाता है। 18वीं शताब्दी में, मालवा की महारानी के रूप में, धर्म का संदेश फैलाने में और औद्योगीकरण के प्रचार-प्रसार में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। वर्तमान परिवेष में सामाजिक समरसता का भाव लाना अत्यंत आवश्यक है और यह हमारे व्यवहार से झलकना चाहियें। सबके प्रति सम्मान एवं आदर्ष शिष्टाचार का पालन करना चाहियें। किसी के प्रति द्वेष, अपशब्दों का प्रयोग एवं सामाजिक विषमता का भाव हमारें सर्वाणीण विकास में बाधक है। अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम एवं समस्त नागरिकों के प्रति सम्मान का भाव हमारे आदर्श जीवन के लिये उपयोगी है।

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पंच परिवर्तन के कार्य अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा

उपरोक्त व्याख्यान में सिंगरौली विभाग के विभाग संघचालक पुष्पराज सिंह समेत समस्त दायित्ववान स्वयंसेवक, प्रबुद्धजन, एवं बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित रहें। सभी ने व्याख्यान को आत्मसात करते हुये पंच परिवर्तन के कार्य को अपने-अपने जीवन में उतारने का प्रण लिया।

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