पुलिस से लेकर अभिभावक घंटों हुए परेशान
जबलपुर: ग्वारीघाट थाना अंतर्गत ग्वारीघाट साईधाम के पास स्थित वर्षा हास्टल हॉस्टल से सुबह-सुबह चार बच्चे अचानक गायब हो गए। इसकी सूचना तत्काल अभिभावकों को दी गई। परिजनों ने पहले तो अपने स्तर पर उनकी खोजबीन शुरू की लेकिन बच्चों का कहीं कोई सुराग नहीं लगा जिसके बाद इसकी सूचना ग्वारीघाट पुलिस को दी गई। जानकारी मिलते ही पुलिस भी सक्रिय हो गई और बच्चों की खोजबीन में जुट गई। देर शाम बच्चे खुद वापिस घर लौट आए जिसके बाद परिजनों एवं पुलिस ने राहत की सांस ली। प्रारंभिक पूछताछ में यह बात सामने आई है कि बालकों को हॉस्टल में अच्छा नहीं लग रहा था और उन्हें मम्मी-पापा की याद आ रही थी जिसके चलते चारों हॉस्टल से भाग निकले थे।
ताला खोलकर टहलने निकले शिक्षक तो भाग निकले बच्चे
टीआई श्रीमति भूमेश्वरी चौहान ने बताया कि विजय किशोर चौहान 54 वर्ष निवासी पुरानी बस्ती साईधाम रोड ग्वारीघाट ने सूचना दी कि वह शिक्षक है। बुधवार सुबह लगभग 4 बजे ग्वारीघाट साईधाम के पास स्थित वर्षा हास्टल के गेट का ताला खोला और टहलने के लिये चला गया था, कुछ देर बाद लौटकर आया एवं चैक किया तो हॉस्टल में रहने वाले रूद्रकुमार पटेल पिता राजकुमार पटेल पिता राजकुमार पटेल 11 वर्ष, शुभ सिंह पिता केशव सिंह राजपूत 7 वर्ष, जय सिंह पिता केशव सिंह राजपूत 11 वर्ष, विराज सिंह पिता दुर्गेश सिंह 11 वर्ष के नहीं थे।
सीसीटीव्ही कैमरे में हुए कैद
बच्चे के गायब होने की जानकारी लगते ही शिक्षक उन्हें ढूंढने के लिए चार पहिया वाहन से बच्चों के घर शहपुरा स्थित बिलपठार व ग्राम डोभी पहुंचा किंतु वहॉ बच्चे नहीं मिले। इसके बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ अपहरण का प्रकरण दर्ज कर पुलिस सक्रिय हो गई और पतासाजी शुरू करते हुए सीसीटीव्ही कैमरों को खंगाला शुरू किया। माडवा बस्ती के समीप लगे कैमरे में चारों बालक कैद भी हुए। जिनकी पुलिस तलाश करने में जुटी हुई थी उधर परिजन भी चिंतित थे। हालांकि देर शाम चारेां बालक अपने घर पहुंच गए।
पैदल भेड़ाघाट तक गए फिर बस से शहपुरा पहुंचे
पुलिस ने बताया कि चारों बच्चे शाम लगभग 5 बजे अपने-अपने घर सकुशल पहुंचें, जिन्होंने पूछताछ पर बताया कि हॉस्टल मे अच्छा नहीं लग रहा था, मम्मी-पापा की याद आ रही थी, चारों ने प्लान बनाया और सुबह 4 बजे गेट खुला पाकर चारों एक साथ निकल गये थे, रास्ता भटक गये थे पूछते-पूछते पैदल भेडाघाट चौराहा पहुंचे जहॉ से बस में बैठकर रेल्वे फाटक शहपुरा में बस से उतरकर पैदल अपने घर चले गये थे।