देर रात तक डटे रहे श्रोता, कवियों का किया नागरिक अभिनंदन
नवभारत न्यूज
झाबुआ। सामाजिक समरसता की प्रतीक लोकमाता अहिल्याबाई के शत्रि शताब्दी जन्मोत्सव के अवसर व हिंदी दिवस की शुभ वेला पर सार्वजनिक गणेश मंडल राजवाड़ा चौक द्वारा आयोजित अभा कवि सम्मेलन में देर रात तक श्रोता डटे रहे। हास्य व्यंग्य एवं की रचनाओं ने जहां श्रोताओं को जमकर ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया, वहीं श्रृंगार सनातन व देशभक्ति से ओत प्रोत कविताओं ने खूब तालियां बटोरी। इस अवसर पर राष्ट्रीय कवियों का पुष्पहार, शाल श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र भेंटकर नागरिक अभिनंदन किया गया। इतिहासकार डॉ केके त्रिवेदी ने इस अवसर पर लोकमाता अहिल्याबाई के 300वे जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उनके जीवन चित्रण का वर्णन करते हुए अहिल्याबाई का जमकर गुणगान किया। उन्होने बताया कि लोकमाता ने अपने जीवन काल में मंदिरों, नदियों, पुल, पुलियाओ का निर्माण करके लोगों के उच्च जीवन की आधारशिला भी उस दौरान रखी थी। उन्होंने अनेक शिव मंदिरों का निर्माण भी किया था सनातन की वह अन्य भक्त थी।
हिंदी की बिंदी के बिन सब श्रृंगार अधूरा
कवि सम्मेलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हास्य कवि एवं मंच संचालक अशोक भाटी ने अपनी काव्य रचना प्रस्तुत करते हुए कहा की भाषाओं के आभूषण से युक्त श्रृंगार पूरा है, पर हिंदी की बिंदी के बिन सब श्रृंगार अधूरा है। भाटी ने अपनी व्यंगात्मक रचनाओं के माध्यम से लोगों को जमकर गुदगुदाया। झालावाड़ के हास्य कवि राजेश लोटपोट ने श्रोताओं का हंसते हुए कहा की अशुद्ध जिंदी नहीं होनी चाहिए हिंदी की कविता हो कविता की हिंदी नहीं होनी चाहिए। शाजापुर के हास्य कवि ऋतुराजसिंह गुर्जर ने हास्य की मस्ती को बढ़ाते हुए कहा की धर्मपथ से विमुख हो ना जाए बेटियां में पद्मिनी सी बनाना चाहता हूं बेटीया। मोबाइल नशे में खो रही है जवानी इस युवा पीढ़ी को जागना चाहता हूं। सेमलिया राजस्थान के कवि डॉ चंचल चौहान की रचनाओं ने सभी को हंसने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा की समय सबका बराबर है ये आठों याम सबके हैं पढ़ो गीता या रामायण तो इतना जान जो अवध के राम सबके हैं ब्रज के श्याम सबके हैं बनारस उत्तर प्रदेश से पधारी कवित्री विभा शुक्ला की कविताओं ने श्रोताओं के बीच जमकर शमा बांध दिया। संचालक एवं कवित्री की बीच कुछ देर चली नोकझोंक ने सभी को जमकर हंसने पर मजबूर कर दिया। विभा शुक्ला ने कहा कि विश्वनाथ का धाम जहां वैभव की कोतवाली है आदि अनंत मोक्ष की नगरी यह दुनिया सारी है जैसी अनेक रचनाओं से लोगों का दिल जीत लिया। कवि सम्मेलन के संयोजक नीरज राठौर ने आरंभ में स्वागत भाषण देते हुए कहा की सार्वजनिक गणेश मंडल राजवाड़ा चौक सबसे पुराना गणेश मंडल है। लगातार 90 वर्षों तक किसी भी संस्था का संचालन होना अपने आप में गौरव का विषय है। लगभग चार पीढि़यों ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया है, वह अब झाबुआ शहर के सभी लोग मिलकर इस उत्सव को नया रूप प्रदान कर रहे हैं।
छा गए मोहम्मद निसार
कवि सम्मेलन के दौरान अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से जिले के ग्राम रंभापुर के ओजस्वी कवि मोहम्मद निसार खान पठान ने समां बांध दिया। उन्होंने अपने चुटीले अंदाज में कहा कि अभी तो अवध में राम आए हैं, मथुरा में बांके बिहारी का आना बाकी है, उनकी इस रचना ने श्रोताओं की खूब दांत बटोरी। मोहम्मद निसार ने कहा की सनातन संस्कृति ही जीवन का आधार है, सत्यमेव जयते सनातन यही तो संस्कार है।
कवियों का किया नागरिक अभिनंदन
कवि सम्मेलन की शुरुआत में सभी आमंत्रित कवियों का नागरिक अभिनंदन पुष्पहार, साल, श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र देकर नपा अध्यक्ष कविता सिंगार, समिति अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री, कार्यक्रम संयोजक नीरज राठौर जनार्दन शुक्ला, भागवत शुक्ला एमएस फुलपगार, सुरेश समीर, गणेश उपाध्याय एवं शहर के वरिष्ठ लोगों ने किया। संचालन जयंत बैरागी ने किया। आभार नीरज राठौर ने माना।
16 झाबुआ-1-कविता पाठ करते कवित्री
16 झाबुआ-2- काव्यपाठ का आनंद उठाते श्रोता