थोड़ी भी देरी होती तो जा सकती थी मजदूरों की जान
राऊ पुलिस बनी देवदुत…
इंदौर: ओमेक्स सिटी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में फंसे मजदूरों के लिए राऊ पुलिस देवदुत बनी . तुरंत कार्यवाही ना होने पर मजदूरों की जान जा सकती थी. सूचना मिलते ही प्रधान आरक्षक नीलेश ने तीनों मजदूरों को दी सीपीआर. इसकी बाद पुलिस ने उन्हें अस्पताल भेजा.एसीपी रुबिना मिजवानी ने बताया कि शनिवार की शाम करीब चार बजे ओमेक्स हिल्स में प्राइवेट सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में केमिकल की पुताई के पहुंचे कुछ मज़दूर अंदर गए हुए थे. इसी दौरान केमिकल गिर जाने से तीन मजदूर बेहोश हो गए. एक साथी मजदूर ने मदद के लिए रहवासी नितिन राठौड़ महेंद्र और कमल को बुलाया.
इस पर उन्होंने इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दी. सूचना मिलते ही सात मिनट में थाना प्रभारी राजपाल राठौड़, प्रधान आरक्षक नीलेश सुरातकर, प्रधान आरक्षक अजय सिंह चौहान, बलराम चौहान के साथ शिवनारायण जगदाले मौके पर पहुंचे स्थिति का जायजा लिया. इसके बाद एसडीआरएफ की टीम को भी सूचना दी. मगर उन्हें घटना स्थल पर पहुंचने में समय लगने लगा. तो पुलिस की टीम ने कुछ जुगाड़ से आस पास से पाइप डालकर पड़ोसियो से एग्जॉस्ट फैन लेकर वहां से जहरीली गैंग को बाहर निकाला.
इसके बाद पुलिस को जवान खुद रस्सी डालकर मजदूरों को बाहर निकाल लाए. उन्होंने देखा कि तीनों ही मजदूरों की साँसे जाने की थी मगर पुलिस तो दी जाने वाली ट्रेनिंग का उपयोग करते हुए हेड कांस्टेबल निलेश सुरतकर ने एक के बाद एक तीनों ही बेहोश हुए मजदूरों को सीपीआर उस समय तक देते रहे जब तक एम्बुलेंस नहीं आ गई. इसके बाद तीनों ही मजदूरों ग्राम पतोरा शाहजहां पुर उत्तर प्रदेश के 28 वर्षीय मनोज पिता हरिओम तिवारी, 24 वर्षीय विकास पिता राजकुमार कश्यप उमरा के साथ संजीव पिता उमेश कश्यप को एम्बुलेंस की सहायता से इलाज के लिए अस्पताल भेजा. पुलिस ने इस सराहनीय कार्य के लिए उत्साह वर्धन करने लिए पुलिस के जवानों को नगद पुरुस्कार देने ेकी घोषणा की.