एक दिन के लिए भी स्वतंत्रता से वंचित करना बहुत ज्यादा: सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली, 13 सितंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुकदमे में दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को शुक्रवार को जमानत देते हुए ‘जमानत नियम और जेल अपवाद’ के सिद्धांत को दोहराया और कहा ‘एक दिन के लिए भी स्वतंत्रता से वंचित करना बहुत ज्यादा है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि जमानत देने की विधायी नीति तब विफल हो जाएगी, जब उचित समय पर मुकदमे के निपटारे की कोई संभावना नहीं होगी। इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने श्री केजरीवाल को एकमत से जमानत तो दे दी, लेकिन अलग-अलग फैसले लिखे।

न्यायमूर्ति भुइयां ने अपने फैसले कहा, “…जब तक दोष साबित न हो जाए, तब तक आरोपी निर्दोष होता है। यह न्यायालय बार-बार इस हितकारी सिद्धांत को दोहराता रहा कि जमानत नियम और जेल अपवाद है। सभी स्तरों पर अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुकदमे की प्रक्रिया और उसमें शामिल प्रक्रिया स्वयं सजा न बन जाए।”

उन्होंने कहा कि एक दिन के लिए भी स्वतंत्रता से वंचित करना बहुत ज्यादा है, जबकि प्रवर्तन निदेशालय मामले के कड़े प्रावधानों में श्री केजरीवाल को जमानत (12 जुलाई को) दी गई थी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने लिखा, “देश में जमानत न्यायशास्त्र के विकास के मूल सिद्धांत को दोहराया जाता है कि जमानत का मुद्दा स्वतंत्रता और न्याय से जुड़ा है। जमानत का विकसित न्यायशास्त्र न्यायिक प्रक्रिया के प्रति संवेदनशील समाज का अभिन्न अंग है। मुकदमे के लंबित रहने तक आरोपी व्यक्ति को लंबे समय तक जेल में रखना व्यक्तिगत स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण वंचना है।”

उन्होंने अपने फैसले में कहा, “अदालतें हमेशा विचाराधीन कैदियों के प्रति लचीले दृष्टिकोण के साथ स्वतंत्रता की पक्षधर रहती हैं, जो कानून के शासन का अभिन्न अंग है। सिवाय इसके कि ऐसे व्यक्ति की रिहाई से सामाजिक आकांक्षाओं को नुकसान पहुंचने, मुकदमे को पटरी से उतारने या आपराधिक न्याय प्रणाली को नुकसान पहुंचाने की आशंका हो।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि प्राथमिकी 17 अगस्त, 2022 को दर्ज की गई थी और तब से एक आरोपपत्र, चार पूरक आरोपपत्र दायर किए गए और चौथा पूरक आरोपपत्र 29 जुलाई, 2024 को दायर किया गया था।उन्होंने कहा कि 17 आरोपियों के नाम दर्ज किए गए, 224 व्यक्तियों की पहचान गवाहों के रूप में की गई और भौतिक और डिजिटल दोनों तरह के दस्तावेज जमा किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि इन तथ्यों से पता चलता है कि निकट भविष्य में मुकदमे के निपटारे की संभावना नहीं है।

खंडपीठ ने सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने के संबंध में सीबीआई की दलीलों को अस्वीकार कर दिया। सीबीआई ने दलील दी थी कि श्री केजरीवाल को जमानत दी जाती है तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “अपीलकर्ता ने जमानत देने के लिए अपेक्षित तीन शर्तों को पूरा किया है।”

शीर्ष अदालत ने इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय के मामले में श्री केजरीवाल को 12 जुलाई को सशर्त जमानत दी थी।

दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 (जो विवाद के बाद रद्द कर दी गई) के कथित और नियमितताओं के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च और सीबीआई में 26 जून 2024 को श्री केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की गिरफ्तारी के समय वह ईडी के मुकदमे में न्यायिक हिरासत में थे।

सीबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे में मार्च से न्यायिक हिरासत में बंद श्री केजरीवाल से विशेष अदालत की अनुमति के बाद 25 जून को पूछताछ की गयी और 26 जून को उन्हें गिरफ्तार किया था।

Next Post

कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का लगातार दूसरा परीक्षण सफल

Fri Sep 13 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email नयी दिल्ली, 13 सितंबर (वार्ता) रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन,ओडिशा में चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएलएसआरएसएएम) […]

You May Like