फिजीबिलिटी सर्वे का कंसल्टेंट नियुक्त करने का टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी
इंदौर: एलिवेटेड कॉरिडोर की जगह बीआरटीएस मार्ग पर छह ब्रिज बनाने का काम आईडीए द्वारा किए जाने की चर्चा है. बताया जा रहा है छह में से पांच फ्लाई ओवर का काम एलिवेटेड कॉरिडोर की लागत से 30 प्रतिशत कम में होने की संभावना है. पांच ब्रिज बनाने के लिए फिजीबिलिटी सर्वे का कंसल्टेंट नियुक्त करने का टेंडर जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.मालवीय नगर चौराहे के बाद से नवलखा चौराहा तक बनने वाले एलिवेटेड कॉरिडोर को शासन ने निरस्त कर दिया. उक्त कॉरिडोर को लेकर मिट्टी परीक्षण का काम शुरू हो चुका था. पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में निर्णय किया गया था कि अब एबी रोड पर स्थित बीआरटीएस सड़क पर छह फ्लाई ओवर बनाकर यातायात को सुचारू करना है.
बीआरटीएस सड़क पर एलआईजी, पलासिया, गीता भवन, शिवाजी प्रतिमा, जीपीओ और नवलखा पर फ्लाई ओवर ब्रिज बनाकर यातायात व्यवस्था दुरस्त कर दी जाए, इसका प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने रखा गया और सभी विधायकों की उपस्थिति में सहमति बन गई. तय हुआ कि फ्लाई ओवर बनाने का काम आईडीए को सौंप दिया जाए. प्राथमिक स्तर पर आईडीए ने पांच फ्लाई ओवर की लागत करीब 240 करोड़ आंकी है. 350 करोड़ से करीब 100 करोड़ कम लागत में ब्रिज निर्माण हो सकते है, ऐसा मुख्यमंत्री को बताया गया. अब सवाल यह है कि उक्त ब्रिज बनाने के लिए आईडीए को पैसा कौन देगा. यह सड़क नगर निगम की सीमा में आती है. आईडीए की योजना में शामिल नहीं है. बीआरटीएस भी जेएनयूआरएम से मिले फंड से बनाया गया था.
यह परेशानी आ सकती है
उपरोक्त छह चौराहों ब्रिज को बनाने की बात की जा रही है, उनकी भुजाएं और लंबाई के लिए जगह नहीं है. उक्त पांच में से फ्लाई ओवर बनाने के लिए दो चौराहों को गैप के लिए छोड़ना पड़ सकता है. अभी तो आईडीए ने फिजीबिलिटी सर्वे का कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए टेंडर जारी करने की प्रक्रिया पर काम शुरू कर दिया है. बीआरटीएस 30 मीटर चौड़ी है और इस पर 6 लेन ब्रिज बनाना संभव नहीं है. भंवरकुआ पर पर्याप्त चौड़ाई मिलने से बीआरटीएस को छेड़े बिना तीन तीन लेन की दो भुजा बन गई. रिंग रोड 75 मीटर चौड़ा है, इसलिए वहां फ्लाई ओवर बनाने में आईडीए को दिक्कत नहीं आई. पांच फ्लाई ओवर के लिए चौराहों के बीच इतनी दूरी नहीं है. एक ब्रिज के लिए मिनिमम 6 से 7 सौ मीटर लंबाई अनिवार्य है.
एलिवेटेड कॉरिडोर इसलिए हुआ निरस्त!
मालवीय नगर चौराहे के पास से नवलखा तक एलिवेटेड कॉरिडोर शासन और केंद्र के बीच निर्णय के लिए झूलता रहा. बाद में बनाने का अंतिम निर्णय लिया गया तो लागत और उपयोगिता पर सवाल उठने लगे. कॉरिडोर बनने से पहले ही उसकी उपयोगिता तय कर ली गई. इसलिए सबने निरस्त करने का प्रस्ताव कर दिया. इसके दूसरा कारण कमलनाथ सरकार में मंत्री सज्जन वर्मा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से पैसा मंजूर करा कर ले आए थे. सरकार गिर गई और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण कांग्रेस को फायदा न मिले, यह भी एक कारण है.
निर्माण लागत भी बड़ा पेंच
एलिवेटेड कॉरिडोर में करीब 350 करोड़ की लागत आ रही थी. यह कॉरिडोर बनते बनते लागत 450 करोड़ तक जाने की संभावना बन रही थी. इसके बाद समय भी चार साल माना जा रहा था. इस दौरान यातायात का पूरा मामला बिगड़ जाता, क्योंकि बीआरटीएस को लेकर अभी ही सत्ता धारी भाजपा और प्रशासन, नगर निगम को लोग कोसते हैं. इसलिए टुकड़े-टुकड़े में अलग अलग चौराहों पर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में किया गया