यात्रियों की सुरक्षा पर सर्वोच्च प्राथमिकता दे रेलवे

लगातार घट रही रेल दुर्घटनाओं से चिंता होना स्वाभाविक है. हाल ही में पटरी के ऊपर गैस सिलेंडर और सीमेंट के स्लीपर रखकर ट्रेनों को बेपटरी करने की साजिश सामने आई है. दरअसल इस समय केंद्र सरकार को आंतरिक सुरक्षा की स्थिति पर ज्यादा फोकस करने की जरूरत है. इसी तरह रेल विभाग को नई और आधुनिक ट्रेन चालू करने की बजाय यात्री सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए. रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव के पास बहुत काम है. उन्हें आईटी और सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भी प्रभार दिया गया है. इसके अलावा राजनीतिक रूप से भी उन्हें महाराष्ट्र का प्रभारी बनाया गया है. जाहिर है उनका फोकस रेलवे पर उतना नहीं है जितना होना चाहिए. बुलेट ट्रेन और वंदे भारत ट्रेन को शुरू करना अच्छी बात है लेकिन रेलवे को सबसे अधिक ध्यान यात्री सुरक्षा पर ही देना चाहिए जो कि शायद अभी नहीं दिया जा रहा है.

दरअसल, दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क पर हम भारतीय गर्व करते रहे हैं.करीब सवा बारह लाख कर्मचारियों वाला भारतीय रेलवे दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाई है. देश में भारतीय रेलवे दशकों तक राजनीतिक हित साधने का शार्टकट माध्यम रहा है. गठबंधन सरकारों में घटक दलों के सांसदों में रेल मंत्रालय लेने की होड़ रहा करती थी.विडंबना यह भी कि राजनीतिक लाभ के लिये नित नयी ट्रेनों की घोषणा करने वाले राजनेताओं ने रेलवे में सेवा की गुणवत्ता व सुरक्षा के पहलुओं को उतनी गंभीरता से नहीं लिया. आज तक कोई वैज्ञानिक अध्ययन सामने नहीं आया जो इस बात की व्याख्या कर सके कि पुराना रेलवे ढांचा क्या तेज गति की ट्रेनों के दबाव को सह लेगा? सर्वविदित है कि तमाम छोटी-बड़ी रेल दुर्घटनाओं के मूल में मानवीय चूक का पहलू भी सामने आता रहा है. इसके अलावा हाल के दिनों में रेलों को पटरी से उतारने की साजिश का जो एंगल सामने आया है, वह बेहद डरावना है. दरअसल, आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर रेल की पटरी पर ऐसे अवरोधक पाये गए हैं, जो रेल को पटरी से उतारकर बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते थे.इस बाबत कुछ वीडियो सुर्खियों में रहे, जिसमें पाक में सक्रिय कट्टरपंथी भारतीय रेलों को पटरी से उतारने की बात कर रहे थे.हाल ही में कानपुर के निकट प्रयागराज-भिवानी कालिंदी एक्सप्रेस पटरी पर रखे एलपीजी सिलेंडर से टकरा गई. इसके बाद अजमेर के पास एक पटरी पर 70 किलो से अधिक का सीमेंट स्लीपर का टुकड़ा रखने की साजिश भी पता चली है.पिछले महीने भी कानपुर के पास ही वाराणसी-अहमदाबाद साबरमती एक्सप्रेस के करीब दो दर्जन डिब्बे पटरी से उतर गये थे. तब भी चालक ने किसी चट्टान के इंजन से टकराने की बात कही थी. इससे पहले चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के बेपटरी होने से चार यात्रियों को जान से हाथ धोना पड़ा था.इसके साथ ही रेलवे ट्रैक को नुकसान पहुंचाने की कुछ अन्य घटनाएं भी सामने आई हैं.ये घटनाएं बताती हैं कि ट्रेन में सफर कर रहे हजारों नागरिकों की जीवन रक्षा के लिये रेलवे के सुरक्षातंत्र को फुलप्रूफ बनाने की जरूरत है. ये घटनाएं विचार के लिये बाध्य करती हैं कि चांद व मंगल पर दस्तक देने वाला भारत अपने रेलवे तंत्र को दुर्घटना मुक्त क्यों नहीं बना पा रहा है ? नीति-नियंताओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि गति से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पहले सुरक्षा चाकचौबंद की जाए.यदि रेलवे को निशाने बनाने की साजिश हुई है तो उसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए.सिर्फ आरोप लगाने काफी नहीं हैं. याद रहे रेलवे को दुर्घटनाओं से निरापद बनाने के लिये आधुनिक तकनीक व उपकरणों को लगाने के लिये बड़ी पूंजी की जरूरत है.जिससे रेल यात्रा को दुर्घटना मुक्त बनाने में मदद मिल सकेगी. कुल मिलाकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को रेल दुर्घटनाओं और यात्री सुरक्षा के प्रति गंभीर कदम उठाने होंगे. यात्री सुरक्षा रेल विभाग की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. इसी तरह आतंकी घटनाओं की आशंका को भी बेहद गंभीरता से लेने की आवश्यकता है.

 

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