नयी दिल्ली, 11 सितंबर (वार्ता) सरकार ने 12461 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ जल विद्युत परियोजनाओं (एचईपी) से संबंधित बुनियादी संरचना को सक्षम करने की लागत के लिये बजटीय समर्थन की योजना में संशोधन के लिये विद्युत मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह मंजूरी प्रदान की गयी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि योजना वित्तीय वर्ष 2024-25 से वित्तीय वर्ष 2031-32 तक क्रियान्वित की जायेगी।
श्री वैष्णव ने बताया कि सरकार जल विद्युत परियोजनाओं के विकास में बाधा डालने वाली दूरदराज के स्थानों, पहाड़ी क्षेत्रों, बुनियादी संरचना की कमी आदि से संबंधित समस्याओं का समाधान करने के लिये कई नीतिगत पहल कर रही है। उन्होंने बताया कि जल विद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने तथा इसे और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिये मार्च, 2019 में मंत्रिमंडल ने बड़ी पनबिजली परियोजनाओं को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में घोषित करने, जल विद्युत खरीद संबंधी दायित्व (एचपीओ), बढ़ते टैरिफ के माध्यम से टैरिफ युक्तिकरण के उपाय, भंडारण एचईपी में बाढ़ को नियंत्रित करने के लिये बजटीय समर्थन और बुनियादी संरचना जैसे सड़कों और पुलों के निर्माण को संभव करने की लागत के लिये बजटीय समर्थन जैसे उपायों को अनुमोदित किया था।
उन्होंने बताया कि जलविद्युत परियोजनाओं के तीव्र विकास और दूरस्थ परियोजना स्थलों पर बुनियादी संरचना को बेहतर बनाने के लिये पिछली योजना में कुछ संशोधन किये गये हैं। इनमें सड़कों एवं पुलों के निर्माण के अलावा चार और मदों को शामिल करके बुनियादी संरचना को सक्षम बनाने की लागत यानी बिजली घर से राज्य/ केंद्रीय ट्रांसमिशन यूटिलिटी के पूलिंग सबस्टेशन के उन्नयन सहित निकटतम पूलिंग बिंदु तक ट्रांसमिशन लाइन रोपवे , रेलवे साइडिंग, और संचार संबंधी बुनियादी संरचना के निर्माण में आने वाली लागत के लिये बजटीय समर्थन के दायरे को विस्तारित करना शामिल है। उन्होंने कहा कि परियोजना की ओर जाने वाली मौजूदा सड़कों/ पुलों का सुदृढ़ीकरण भी इस योजना के तहत केंद्रीय सहायता का पात्र होगा।
श्री वैष्णव ने बताया कि लगभग 31350 मेगावाट की संचयी उत्पादन क्षमता वाली इस योजना का कुल परिव्यय 12,461 करोड़ रुपये है, जिसे वित्तीय वर्ष 2024-25 से वित्तीय वर्ष 2031-32 तक क्रियान्वित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि यह योजना निजी क्षेत्र की परियोजनाओं सहित 25 मेगावाट से अधिक क्षमता की सभी जल विद्युत परियोजनाओं पर लागू होगी, जिन्हें पारदर्शी आधार पर आवंटित किया गया है। यह योजना कैप्टिव/ मर्चेंट पीएसपी सहित सभी पंप स्टोरेज परियोजनाओं (पीएसपी) पर भी लागू होगी, बशर्ते कि परियोजना पारदर्शी आधार पर आवंटित की गयी हो। इस योजना के तहत लगभग 15,000 मेगावाट की संचयी पीएसपी क्षमता का समर्थन किया जायेगा। जिन परियोजनाओं के पहले बड़े पैकेज का लेटर ऑफ अवार्ड 30.06.2028 तक जारी कर दिया गया है, उन पर इस योजना के तहत विचार किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि बुनियादी संरचना को सक्षम करने की लागत के लिये बजटीय समर्थन की सीमा को 200 मेगावाट तक की परियोजनाओं के लिये 1.0 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट और 200 मेगावाट से अधिक की परियोजनाओं के लिए 200 करोड़ रुपये और 0.75 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट तक तर्कसंगत बनाया गया है। असाधारण मामलों में बजटीय सहायता की सीमा 1.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट तक जा सकती है। बुनियादी संरचना को सक्षम करने की लागत के लिये बजटीय सहायता डीआईबी/ पीआईबी द्वारा बुनियादी संरचना को सक्षम करने की लागत के मूल्यांकन और मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बाद प्रदान की जायेगी।
श्री वैष्णव ने बताया कि यह संशोधित योजना जल विद्युत परियोजनाओं के तेजी से विकास में मदद करेगी, दूरदराज एवं पहाड़ी परियोजना स्थलों में बुनियादी संरचना को बेहतर बनायेगी और परिवहन, पर्यटन, लघु-स्तरीय व्यवसाय के माध्यम से अप्रत्यक्ष रोजगार / उद्यमशीलता के अवसरों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी। यह योजना जल विद्युत क्षेत्र में नये निवेश को प्रोत्साहित और नयी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए प्रेरित करेगी।