क्या इंदौर को भी भोपाल बनाने में लगा है शासन ?
वीरेंद्र वर्मा
इंदौर: इंदौर का मास्टर प्लान लागू करने में देरी क्यों हो रही है? मास्टर प्लान लागू नहीं होने से शहर भविष्य में बहुत समस्याओं के साथ सुनियोजित विकास से दूर हो जाएगा. सबसे बड़ी बात यह है कि कोई भी मास्टर प्लान के घोषित होने का नहीं बता पा रहा है. सवाल उठता है कि क्या प्रदेश सरकार और अधिकारी इंदौर को भी भोपाल बनाने में लगे है? यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि शासन की तरफ से अभी तक अधिकृत समय और तारीख नहीं बताई जा रही है.
इंदौर नए मास्टर प्लान का इंतजार कर रहा है. एक तरफ प्रदेश सरकार मैट्रो पॉलिटियन एरिया बनाने की जुगत कर रही है. वहीं मास्टर प्लान 2021 का समय पूरा हुए चार साल बीत चुके है. इंदौर का सुनियोजित तरीके से विकास का दस्तावेज मास्टर प्लान है, लेकिन शासन में बैठे अधिकारियों द्वारा इसको लेकर कोई गंभीरता नजर नहीं आ रही है. ध्यान रहे कि करीब तीन महीने पहले मास्टर प्लान को लेकर विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने शहर के प्रबुद्धजनों के साथ बैठक की थी. बैठक में मंडलोई ने सुझाव और जानकारी ली और मंत्री को कहा था कि नए प्लान में सारे सुझाव शामिल कर लिए है, पर विकास का खाका बताने से यह कह कर इनकार कर दिया था कि यह गोपनीय है.
2045 को ध्यान में रख बनाने पर हुई थी सहमति
इंदौर का मास्टर प्लान 2045 को ध्यान में रख कर बनाने पर सहमति हुई थी. करीब 9 सौ 60 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इसमें शामिल किया जा रहा है. इसके बाद शहर की तीन तरफ की सीमा खत्म हो जाएगी. उसमें देवास, उज्जैन, धार जिले शामिल है. कहने का मतलब यह है कि मास्टर प्लान में इतना क्षेत्र कवर किया जा रहा है. इसके बाद इंदौर का सिर्फ हरदा रोड ही बचेगा, जहां शहर को बढ़ाया जा सकता है.
मास्टर प्लान घोषित नहीं होने के पीछे कहीं यह कारण तो नहीं ?
मास्टर प्लान को लेकर कई बार मंथन हो चुका है, पिछले तीन सालों में कई बैठक और विचार विमर्श हो चुके है. मगर नतीजा सिफर है. मास्टर प्लान घोषित नहीं होने के पीछे कही जमीनों के सौदागर से परदे के पीछे सौदे तो नहीं चल रहे है? इसका तथ्यात्मक कारण है कि मास्टर प्लान में 79 गावों की जमीन शामिल कर ली गई है. बताया जा रहा है कि टीएनसीपी से 79 गावों में सैंकड़ों की संख्या में विकास अनुमतियां जारी हो चुकी है और यह काम निरंतर चल रहा है. इसका एक मात्र कारण मास्टर प्लान के लिए जमीन उपयोग सुरक्षित और आरक्षित नहीं होना है.
मास्टर प्लान घोषित नहीं होने से नुकसान
शहर का मास्टर प्लान तैयार नहीं होने से भविष्य में सुनियोजित विकास सड़क, रेल, निवेश क्षेत्र, आवासीय और पर्यावरण की जगह सुरक्षित नहीं हो पाएगी। इंदौर, भोपाल की तरह अनियोजित विकास का धब्बा बन जाएगा.
भोपाल का आज तक नहीं बना मास्टर प्लान
इंदौर का मास्टर प्लान 1998 से बनना शुरू होकर 2008 में लागू हुआ था. परिणामस्वरूप मास्टर प्लान की देरी से हरित क्षेत्र में कॉलोनियां बस गई. 2021 में हरित क्षेत्र 13 प्रतिशत रखा गया था, जो आज जीरो है. इसी तरह भोपाल का मास्टर प्लान 2005 से आज तक बन ही नहीं पाया और अब भोपाल चारों तरफ अनियोजित विकास के भेंट चढ़ चुका है