नवभारत न्यूज
रीवा, 8 सितम्बर, सडक़ो पर धमाचौकड़ी मचा रहे आवारा गौवंशो की धरपकड़ को लेकर राज्य सरकार द्वारा विशेष अभियान चलाया गया जो केवल कागजो तक सीमित रह गया और अभियान भी पूरा हो गया.
आवारा गौवंश भी सडक़ पर ही नजर आ रहे है, केवल खानापूर्ति की गई. 15 दिन के लिये विशेष अभियान की घोषणा हुई थी, जिसमें अधिकारियों को जिम्मेदारी सौपी गई थी. कलेक्टर द्वारा अलग-अलग टीम बनाई गई और गोवंश को पकडऩे का काम केवल कागजो तक ही सिमट कर रह गया. दरअसल हाइवे में घूमने वाले आवारा गौवंशो को पकड़ कर आसपास सुरक्षित गौशाला या बाड़े में रखना था ताकि सडक़ में जो गौवंश दुर्घटना का शिकार हो रहे है वह न हो पर यह कार्यवाही कागज तक सीमित रह गई. न ेतो आला अधिकारी सडक़ो पर उतरे और न ही आवारा गौवंश कही गये. मजे की बात तो यह है कि शहर के अंदर सडक़ो पर ही आवारा गौवंश धमाचौकड़ी मचाते हुए देखे जा सकते है. नगर निगम भी इन्हे पकड़ कर गौशाला नही पहुंचा सका. कुल मिलाकर 15 दिन चलने वाला विशेष अभियान हवा हवाई ही रहा. गौवंश सडक़ो पर घूम रहे है और सडक़ दुर्घटना का शिकार हो रहे है. हाइवे में शाम ढ़लते ही गौवंश पहुंच जाते है और सुबह तक बैठे रहते है. खासकर उस दिन जब बारिश हो जाती है. कीचड़ से बचने के लिये गौवंश सडक़ पर आ जाते है. रीवा में सबसे ज्यादा आवारा गौवंश घूम रहे है जो किसानो की फसल को भी चौपट कर रहे है. यह गौवंश कही पर बाहर से नही आये है गांव मोहल्ले के ही किसानो के है जो दूध निकालने के बाद खुले में छोड़ देते है. सरकार के अलावा किसानो की भी जिम्मेदारी है कि अपने गौवंशो को बांध कर रखे.