अधर में प्रोत्साहन, मेधावी परेशान

माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12 वीं की परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के तहत लैपटॉप की राशि दिए जाने पर रिजल्ट घोषित होने के 4 माह बाद भी अमल नहीं हो पाया है, जबकि पिछले साल जुलाई माह में ही मेधावियों को 25000 की राशि प्राप्त हो गई थी।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में वर्ष 2009 -10 में प्रारंभ हुई इस योजना के तहत बारहवीं में 75 फीसदी अंक लाने वाले मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने लैपटॉप के लिए राशि विद्यार्थियों के खाते में दी जाती है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के पूर्व 60 प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री प्रोत्साहन लाभ दिए जाने की घोषणा शिवराज सिंह की ओर से की गई थी, लेकिन प्रदेश सरकार के नए मुखिया डॉ मोहन यादव ने स्पष्ट कर दिया था कि इस योजना का लाभ उन छात्रों को ही मिलेगा जो 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक अर्जित करेंगे। बहरहाल जबलपुर के लगभग डेढ़ हजार मेधावी विद्यार्थियों की सूची खाता नंबर समेत दो दो बार भोपाल भेजी जा चुकी है, लेकिन विद्यार्थियों के खाते में राशि अंतरित नहीं हो सकी है। स्कूल शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार सारी औपचारिकताएं पूर्ण करके दो बार सूची भोपाल भेजी जा चुकी है, मगर भोपाल से स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं मिल रहे हैं, दूसरी ओर विद्यार्थी और अभिभावक कह रहे हैं कि पहले जब संपर्क किया गया था तब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का हवाला दिया जा रहा था परंतु इसको भी हटे हुए महीनों गुजर गए हैं फिर मेधावियों को मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि क्यों नहीं दी जा रही है, यह समझ से परे है। इन हालातों को लेकर जबलपुर में चर्चा है कि प्रदेश पहले ही कर्ज में डूबा है, माली हालत खराब है, ऐसे में प्रोत्साहन राशि देना हो सकता है कि सरकार की प्राथमिकता में शामिल ही ना हो, वैसे भी विद्यार्थी लाडली बहना की श्रेणी में नहीं आते औऱ अब तो कुछ स्थानों में विधानसभा उपचुनाव छोड़कर कोई बड़े चुनाव भी नहीं होने जा रहे।

दाखिला दे दिया, शिक्षकों का इंतजाम नहीं…
महाकौशल के बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की तथा – कथा हमेशा से निराली रही है। इस मर्तबा विश्वविद्यालय के विभागों में नए नए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। इन पाठ्यक्रम का ज्ञान लेने छात्र – छात्राओं ने खूब रुचि भी दिखाई, मगर जब कक्षाएं प्रारंभ करने का वक्त आया तो पता चल रहा है कि अभी ना विद्यार्थियों की बैठने की व्यवस्था हो पाई है और ना ही शिक्षकों का इंतजाम हो पाया है। दरअसल रादुविवि में रसायन शास्त्र विभाग में इस सत्र में बीएससी का कोर्स शुरू किया गया है जिसमें लगभग एक सैकड़ा विद्यार्थी एडमिशन ले चुके हैं। इसके अलावा पहले से संचालित फार्मेसी कोर्स के 300 से अधिक विद्यार्थी भी हैं, जिनकी बैठक व्यवस्था पहले से ही पर्याप्त नहीं थी। अब नई शिक्षा नीति के तहत संचालित होने जा रहे बीएससी के लगभग सौ विद्यार्थी और जुड़ गए हैं। विडंबना यह है कि विद्यार्थी तो पर्याप्त हो गए और पढ़ने के लिए वहां पहुंच भी रहे हैं लेकिन विषय के शिक्षकों का अता पता नहीं है। विश्वविद्यालय के सूत्रों के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति की जाना है, परंतु नियुक्ति प्रक्रिया अभी शुरू ही नहीं हो पाई है। ऎसे हालात अन्य विभागों के भी हैं। कुछ महीने पहले ही रादुविवि को नैक मूल्यांकन में ए ग्रेड मिला है जाहिर है कि ग्रेड निर्धारण से पूर्व नैक टीम ने सभी बिंदुओं का सूक्ष्म निरीक्षण – विश्लेषण किया होगा। मगर अभी उजागर हो रहीं कमियां रादूविवि की साख पर बट्टा लगाने जैसी प्रतीत हो रहीं हैं।

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