नयी दिल्ली, (वार्ता) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत- मिडिल ईस्ट (पश्चिम एशिया)- यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) परियोजना को एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुये शुक्रवार को कहा कि यह परियोजना भारत की समुद्री सुरक्षा और यूरोप तथा एशिया के बीच व्यापारिक माल की त्वरित आवाजाही में योगदान दे सकती है।
श्री गोयल ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित भारत-भूमध्यसागरीय व्यापार सम्मेलन-2024 को संबोधित कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि आईएमईसी की शुरुआत गत सितंबर में भारत की मेजबानी में नयी दिल्ली में आयोजित जी-20 अध्यक्षता के दौरान की गयी थी। इसके अंतर्गत भारत से संयुक्त अरब अमरीता, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल होते हुये यूरोपीय संघ तक के मार्ग में औद्योगिक, व्यापारिक और लॉजिस्टक्स गतिविधियों को समन्वित कर व्यापार-उद्योग तथा रोजगार एवं आय-संवर्धन को प्रोत्साहित करना है।
श्री गोयल ने कहा कि इस गलियारे से जुड़े देशों के बीच अच्छे सहयोग से ही परस्पर व्यापार में लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी तथा सामानों का सुरक्षित और तीव्र गति से आवागमन संभव हो सकेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन ( पीएलआई) की योजना, मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) और आर्थिक साझेदारी जैसी केंद्र की पहलों से देश में व्यापार करने में सुगमता (ईओडीबी) बढ़ी है तथा देश का विनिर्माण क्षेत्र तेजी से विकसित हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि-मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिये भारत के प्रयास भारत और भूमध्यसागरीय देशों के बीच पहलों का समर्थन कर सकते हैं।
श्री गोयल ने सुझाव दिया कि सरकार को भूमध्यसागरीय देशों और भारत के बीच पर्यटन पर एक कार्य समूह बनाना चाहिये, क्योंकि दोनों देशों के बीच सहयोग और पारस्परिक लाभ की बहुत संभावना है।
श्री गोयल ने कहा कि भारत और भूमध्यसागरीय देशों का नौवहन क्षेत्र में बहुत बड़ा साझा हित है, चाहे वह जहाज निर्माण, स्वामित्व, समुद्री क्षेत्र या क्रूज व्यवसाय में हो। उन्होंने कहा कि भारत में बंदरगाहों के विकास में बहुत बड़ा अवसर है। देश में पिछले दशक में बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना हुई है और अगले 5 वर्षों में यह क्षमता और दोगुना करने की संभावना है।