शिक्षकों ने बदल दी सरकारी स्कूल की तस्वीर

मुरैना, 04 सितंबर (वार्ता) सामान्यत: जब सरकारी स्कूलों के बारे में सुनते हैं, तो ज्यादातर मामलों में बदहाली की तस्वीरे देखने और सुनने को मिलती है। लेकिन चंबल अंचल के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक की लगन ने सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी है।
मुरैना जिले के सबलगढ़ विकासखंड में स्थित संतोषपुर के शासकीय प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों के प्रयासों से विद्यालय की व्यवस्थाओं और छवि में काफी सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है। इस विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक और शिक्षिका की लगन के कारण सीमित संसाधनों के बावजूद यह सब हो पाया है। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ विद्यालय परिसर को निजी स्कूलों की तरह थीम आधारित सजावट करते हुए स्कूल की तस्वीर ही बदल दी है।
परिसर की स्वच्छता के लिए और बच्चों को स्वच्छता का पाठ सिखाने के लिए शिक्षक स्वयं प्रतिदिन परिसर में सफाई करते हैं। परिसर में हरियाली और वृक्षारोपण किया गया है, जिससे शाला परिसर देखने में बहुत आकर्षक लगता है। बच्चों के मनोरंजन के लिये प्रत्येक दिन “एक्टिविटी” के साथ-साथ संगीत की शिक्षा भी दी जा रही है। बच्चों को दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कराया जाता है।
एक सरकारी विज्ञप्ति में विद्यालय के प्रधानाध्यापक नरेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि विद्यालय में 37 छात्र पढ़ते हैं और दो शिक्षक पदस्थ हैं। शिक्षकों के द्वारा बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ नैतिक, बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान भी दिया जा रहा है। विद्यालय की शिक्षिका लवली जादौन साउंड सिस्टम के माध्यम से नृत्य संगीत की शिक्षा दे रही हैं। बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेकर पुरस्कार भी प्राप्त किये गए हैं। प्रधानाध्यापक के निरन्तर प्रयास और शाला प्रवंधन समिति के सहयोग से विद्यालय के समस्त बच्चों को निजी स्कूलों की तरह टाई, बेल्ट दिए गए हैं, जिन पर विद्यालय का नाम दर्ज है। बच्चे प्रतिदिन गणवेश में ही आते हैं। विद्यालय के बच्चों को ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कराया जा चुका है। विद्यालय के बच्चों की सहमति से “बाल कैबिनेट” का गठन भी किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री, शिक्षामंत्री, पर्यावरण मंत्री, सांस्कृतिक मंत्री आदि नियुक्त किए गए हैं। इसके माध्यम से बच्चे स्वयं निर्णय लेकर कार्य करते हैं।
बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए सामान्य ज्ञान की शिक्षा भी दी जा रही है। बच्चों को साउंड सिस्टम के माध्यम से संगीतमय प्रार्थना प्रतिदिन कराई जाती है। विद्यालय से शिक्षा पूर्ण करने पर जाने वाले विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह देकर विदाई दी जाती है। विद्यालय प्रबंधन द्वारा खेल सामग्री क्रय की गई है, जिससे बच्चे प्रतिदिन खेल खेलते है। इससे उनका शारिरिक विकास करने में मदद मिलती है। शाला परिसर में विद्या की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की गई है, जिनकी प्रार्थना बच्चे प्रतिदिन करते है।

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