आखिरकार केंद्र सरकार ने इंदौर मनमाड़ रेल परियोजना को मंजूर कर उसके लिए राशि आवंटित कर दी है. दरअसल,यह देरी से उठाया गया स्वागत योग्य कदम है. इस परियोजना की वजह से निमाड़ के आदिवासी अंचल में विकास की नई बयार बहेगी. यह परियोजना वास्तव में आदिवासी अंचल के लिए एक वरदान की तरह साबित होने वाली है. अब राज्य सरकार को चाहिए कि रेलवे को आवश्यक जमीन का जल्दी से जल्दी आवंटित करें जिससे परियोजना को गति मिल सके. 309 किलोमीटर की योजना पर 18036 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इस परियोजना से धार, खरगोन, बड़वानी जैसे आदिवासी जिलों को लाभ मिलेगा. लगभग एक हजार गांवों और 30 लाख आबादी का रेल सेवाओं से सीधा संपर्क जुड़ेगा. परियोजना से पीथमपुर ऑटो क्लस्टर की 90 बड़ी इकाइयां और 700 छोटे और मध्यम उद्योग को जेएनपीए के गेटवे पोर्ट से कनेक्टिविटी हो जाएगी.इससे माल परिवहन की लागत में भी कमी आएगी.नई रेल लाइन इंदौर जिले के महू से धार जिले के धरमपुरी, खरगोन जिले के ठीकरी, बड़वानी जिले के राजपुर, सेंधवा, सिरपुर, शिखंडी, धुले, मालेगांव से होकर मनमाड़ पहुंचेगी. इंदौर मनमाड़ रेलवे लाइन से दो प्रमुख वाणिज्यिक केंद्रों मुंबई और इंदौर के बीच सबसे छोटी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए यह काम करेगी.
इसके अलावा यह रेलवे लाइन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के असंबद्ध क्षेत्रों को भी जोड़ेगी. इस परियोजना का फायदा महाराष्ट्र के दो और मध्य प्रदेश के चार जिलों को होगा. परियोजना की मंजूरी को लेकर जो एस्टीमेट जारी किया गया है,उसके अनुसार परियोजना निर्माण के दौरान लगभग 102 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा करेगी. दरअसल,यह परियोजना प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप है, जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को “आत्मनिर्भर” बनाएगा, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. आदिवासी अंचल के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से यह परियोजना जीवन रेखा साबित होने वाली है. खास तौर पर धार्मिक और लोक पर्यटन की दृष्टि से यह योजना बेहद महत्वपूर्ण साबित होगी.इससे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर सहित उज्जैन-इंदौर क्षेत्र के विभिन्न ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी. इसके अलावा किसानों की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी. इस परियोजना से मध्य प्रदेश के बाजरा उत्पादक जिलों और महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक जिलों को भी सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जिससे देश के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में इसके वितरण में सुविधा होगी.
यह कृषि उत्पादों, उर्वरक, कंटेनर, लौह अयस्क, स्टील, सीमेंट, पीओएल आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए एक आवश्यक मार्ग है. जाहिर है इंदौर मनमाड़ रेल परियोजना मध्य प्रदेश के पिछड़े इलाके के विकास की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होने वाली है. इस परियोजना की कम से कम 5 दशकों से चर्चा हो रही है, लेकिन विभिन्न कारणों से इस परियोजना को जमीन पर नहीं उतारा जा सका . इंदौर-दाहोद रेलवे परियोजना ने अब गति पकड़ ली है. इस परियोजना से धार, झाबुआ और अलीराजपुर जिलों को फायदा होगा. जबकि इंदौर मनमाड़ रेलवे परियोजना बड़वानी, धार और खरगोन जिलों से होकर गुजरेगी. यानी इन दोनों परियोजनाओं की वजह से निमाड़ अंचल के करीब करीब सभी आदिवासी जिले रेल के संपर्क में आ जाएंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश के बहुत बड़े हिस्से तक रेल की सुविधा नहीं पहुंची है.बहरहाल, केंद्र सरकार द्वारा परियोजना को मंजूर करना और राशि आवंटित करना ही काफी नहीं है. इस परियोजना को हकीकत बनाने के लिए प्रदेश सरकार और जनप्रतिनिधियों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी. कोशिश की जानी चाहिए कि यह परियोजना निर्धारित समय अवधि में पूरी की हो सके. कुल मिलाकर इस परियोजना से निश्चित रूप से मध्य प्रदेश के निमाड़ और मालवांचल का भाग्य बदलने वाला है.