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रीवा, 1 सितम्बर, अमावस्या तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यता है अमावस्या तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से साधक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है.
मां शारदा की पवित्र धार्मिक नगरी मैहर देवीधाम के प्रख्यात वास्तु एवं ज्योतिर्विद पंडित मोहनलाल द्विवेदी ने बताया कि भाद्रपद माह की अमावस्या का महत्व दीपावली की अमावस्या के तुल्य है और यह सोमवार को होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है. आज सोमवती अमावस्या के साथ कुशोत्पटिनी अमावस्या भी है. आज मंत्रोचार के साथ उखाड़ा हुआ कुशा पूरे वर्ष भर पूजनादि कार्यों में प्रयोग में लाया जाएगा. सोमवती अमावस्या में पीपल वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास मानते हुए सौभाग्यवती सुहागिने विधिवत पूजन कर मंत्रोचार के साथ पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करेंगी. भाद्रपद कृष्ण पक्ष में अमावस्या तिथि की वृद्धि भी है जिससे कल मंगलवार को भी अमावस्या का मान रहेगा. सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की सोमवती अमावस्या तिथि सोमवार 02 सितंबर को सूर्योदय से पूर्व सुबह 04 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और 03 सितंबर को सुबह 06 बजे समाप्त होगी. इस प्रकार 02 सितंबर को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी. यह अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है, तो इस कारण इस दिन महादेव की भी पूजा की जाएगी. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है. इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है.
शिव योग एवं सिद्धि योग का विशेष संयोग
पंडित द्विवेदी बताते है कि इस बार सोमवती अमावस्या को सूर्योदय से पूर्व ही शिव योग शुरू हुआ है जो शाम को 07.55 बजे तक रहेगा. शाम 07.55 बजे से सिद्धि योग शुरू होगा जो मंगलवार शाम 08.13 बजे तक रहेगा, इसलिए इस अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ गया है.