कन्हान क्षेत्र की पहचान, 34 सालों में मात्र खुली एक कोयला खदान

सन् 90 से मोआरी,तानसी 2020 में खुली शारदा
बंद खदानों की लगी लाइन
10 सालों में घटी तीन हजार मानव शक्ति
पहचान को मोहताज हो रहा अंचल
दमुआ-कोई एक दशक पूर्व कोयला खदानों के मामले में कन्हान क्षेत्र मालामाल हुआ करता था परन्तु आज हालात काफी बदले हैं कन्हान क्षेत्र में 5 सब एरिया, अम्बाड़ा, दातला, दमुआ, तानसी और नन्दन हुआ करते थे अम्बाडा के तहत शास्त्री, भवानी,मोआरी और अम्बाड़ा खदान हुआ करती थी।
जबकि दातला के तहत झरना, ओपन कास्ट, हिरदागढ, तानसी क्षेत्र के अन्तर्गत माइन नं.1 और 2 तथा नन्दन सब एरिया के तहत भी माइन नं. 1 और 2 संचालित थी इस मामले में सबसे अधिक मालामाल दमुआ उपक्षेत्र रहा, राष्ट्रीकरण के बाद इस सब एरिया के तहत 6 नं., 7नं.,9 नं., 16-17, 20-21, 22-23, 24-25 और 26-27 नं. की कोयला खदानें हुआ करती थी मजे की बात यह है कि राखीकोल में उस दौरान बंषी एवं 33-34 खदान भी संचालित थी।
मोआरी और तानसी घटिया राजनीति की भेंट चढ गई जो कोई सवा साल पहले बंद हो गई जबकि झरना खदान 2020 में बंद की गई, नन्दन की माइन नं. 2 , दि.01.04.2006 को और माइन नं. 1 सन् 2016 में बंद हो चुकी है दमुआ उपक्षेत्र की खदानों का बंद होने का सिलसिला सन् 2012 में प्रारम्भ हुआ उस दौरान इस उपक्षेत्र के तहत 10 खदानें चल रही थी परन्तु इन 10-12 सालों में दमुआ उपक्षेत्र समाप्त ही नहीं हुआ खदानों को भी तरस गया,अपवाद स्वरूप अम्बाड़ा उपक्षेत्र के तहत 6 जून 2020 को शारदा खदान का शुभारम्भ हुआ, यानी सन् 90 के बाद 30-32 साल बाद क्षेत्र को एक खदान मिली, एक खास बात यह है कि कभी 5 उपक्षेत्रों का कन्हान क्षेत्र अब सिमटकर एक उपक्षेत्र पर निर्भर हो गया है कोयला खदान मात्र अम्बाड़ा उपक्षेत्र के तहत शारदा भर संचालित है तानसी, घोरावाड़ी उपक्षेत्र नॉन प्रोडेक्टिव सब एरिया के तहत आ गये हैं।
उक्त आकड़ों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजनीति से जुड़े चेहरे, क्षेत्र के कर्णधारों और प्रबंधन के उच्च अधिकारियों ने इस क्षेत्र के साथ कितना बुरा छलावा किया है जो हालात आज ऐसे हो गये है कि अंचल अंतिम सांसे ले रहा है, वर्तमान जनप्रतिनिधि भी अपने स्वागत में मसगूल हैं शायद वह अपने वादे को भूल रहे हैं कन्हान क्षेत्र का कब कल्याण होगा, उसके अच्छे दिन कैसे आयेगें?
सन् 1971 में देष की कोयला खदानों की राष्ट्रीयकरण की चिंगारी जिस दमुआ कॉलरी से श्रमिक नेता मधुसूदन रावत, श्रीकांत देषपाण्डे, जाकिर खान, जगन्नाथ पाटिल और पी.एम.एस नायडू ने लगाई थी वहीं दमुआ कॉलरी आज कोयला खदानों के नाम पर घुट-घुट कर तरसता नजर आ रहा है।
कन्हान क्षेत्र का साल दर साल घटता मेन पावर
सन् मानव शक्ति
2014- 4786
2015 -4283
2016 -3786
2017 -3429
2018 -3140
2019 -2825
2020 -2540
2021 -2360
2022 -1990
2023 -1976
2024 -1496

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