स्कूलों में कार्यरत वोकेशनल ट्रेनर्स को बड़ी राहत
जबलपुर: मप्र हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत वोकेशनल ट्रेनर को हटाकर नई नियुक्तियां करना अनुचित है। जस्टिस संजय यादव की एकलपीठ ने मामले में कहा है कि सरकार चाहे तो उच्च योग्यता वाले नये ट्रेनर्स का चयन नये स्कूलों में कर सकती है, लेकिन कार्यरत लोगों की योग्यता और अनुभव को दरकिनार नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही एकलपीठ ने शासन को निर्देशित किया कि वे अपने कार्य पर पुनर्विचार करे और नई नियुक्ति के लिये वैकल्पिक उपायों को अपनाये।
दरअसल यह मामला सागर निवासी गोविंद प्रसाद सेन सहित प्रदेश भर के सैकड़ों संविदा वोकेशनल ट्रेनर की ओर से दायर किये गये थे। जिनकी ओर से कहा गया था कि विगत 2 जुलाई को व्यावसायिक प्रशिक्षकों की नियुक्ति के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया है। आवेदकों की ओर से कहा गया कि पूर्व से इस पद पर कार्य कर रहे प्रशिक्षकों को हटाकर नए सिरे से वोकेशनल ट्रेनर की नियुक्ति की जा रही है, जो अनुचित है। याचिकाकर्ता पिछले 10 वर्षों से भी अधिक समय से काम कर रहे हैं। इस विज्ञापन के चलते कार्यरत ट्रेनर को भी नए सिरे से पूरी प्रक्रिया यानी परीक्षा व साक्षात्कार से गुजरना पड़ेगा।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वर्ष 2021 में भी इस तरह की याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसमें अंडरटेकिंग दी गई थी कि याचिकाकर्ताओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाताओं के माध्यम से नई चयन प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। आवेदकों की ओर से कहा गया कि उनका चयन परीक्षा देने के बाद ही हुआ है और अब तो वे अनुभवी भी हो गए हैं। तर्क दिया गया कि नए विज्ञापन में वही योग्यताएं मांगी गई हैं, जो याचिकाकर्ताओं के पास पहले से हैं। नए आवेदन आमंत्रित करके याचिकाकर्ताओं को नए उम्मीदवारों से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। जिसके बाद पूर्व में न्यायालय ने अंतरिम आदेश के तहत वोकेशनल ट्रेनर की नई नियुक्ति पर अपने अंतरिम आदेश से रोक लगा दी थी। मामले में आगे हुई सुनवाई पर न्यायालय ने उक्त राहतकारी आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शशांक शेखर व समरेश कटारे ने पक्ष रखा।