अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया के तमाम देशों में भारतवंशियों का प्रभाव खूब बढ़ रहा है. अमेरिका, ब्रिटेन , कनाडा, मॉरीशस और सेशल्स जैसे देशों में भारतवंशी चुनाव के परिणाम प्रभावित करने की स्थिति में आ गए हैं. ब्रिटेन में तो ऋषि सुनक के रूप में एक भारतवंशी नेता प्रधानमंत्री भी बन चुके हैं. लगता है अब बारी अमेरिका की है. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार कमला हैरिस को चुना है. कमला हैरिस की मां दक्षिण भारतीय वैज्ञानिक थी जिन्होंने वहां एक अमेरिकन से शादी की थी. कमला हैरिस अपने चुनावी भाषणों में अपनी मां के भारतीय होने पर गर्व करती हैं. कमला हैरिस जो बिडेन के प्रशासन में उपराष्ट्रपति थी. उनकी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कड़ी टक्कर है. दुनिया भर की निगाहें कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप की टक्कर पर टिकी हैं.दरअसल,कमला हैरिस की दमदार उपस्थिति से वैश्विक समीकरण बदल रहे हैं.उनके प्रतिद्वंद्वी रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप, जो पिछले महीनों में अजेय बढ़त लेते दिख रहे थे, अब पहले जैसी स्थिति में नहीं हैं. दरअसल, सेहत के मुद्दे तथा शिथिल प्रदर्शन के चलते डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से बाइडेन पर राष्ट्रपति चुनाव के लिये दावेदारी वापस लेने का लगातार दबाव बढ़ता गया.कालांतर में भारी दबाव के बाद बाइडेन ने राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिये अपनी दावेदारी को वापस ले लिया. जिसके बाद भारत वंशी बेटी कमला हैरिस के चुनाव लडऩे का मार्ग प्रशस्त हुआ.अभी तक वर्तमान राष्ट्रपति बाइडेन को केंद्र में रखकर आक्रामक नीति बनानेवाले ट्रंप को अब मैदान में कमला हैरिस के उतरने के बाद नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है. वे असमंजस की स्थिति में हैं. वे जानते हैं कि उनका मुकाबला एक दमदार प्रत्याशी से है, जो उनके कथित यौन अपराधों में संलिप्तता के मुद्दे पर आड़े हाथ लेने से पीछे नहीं रहने वाली. वहीं ट्रंप के कार्यकाल में ओवल ऑफिस में देखी गई अराजकता तथा वर्ष 2020 के चुनाव में पराजय के बाद कैपिटल हिल में उनके समर्थकों के हिंसक कृत्य अमेरिकियों के दिमाग में अभी भी ताजे हैं.अमेरिकी जनमानस में कमला हैरिस की लगातार बढ़ती लोकप्रियता से मुकाबले में ट्रंप को कोई जादू करना पड़ेगा. ट्रंप बीते जून की बहस में जो बाइडेन पर बढ़त लेते नजर आए थे.दरअसल, जो बाइडेन स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते पिछड़ते दिखे थे, जो जनमानस में बड़ा मुद्दा बना दिया गया.इतना ही नहीं डेमोक्रेट पार्टी में भी जो बाइडेन पर नाम वापसी के लिये दबाव बढ़ता गया.पहले जहां बाइडेन को इस चुनाव में सबसे ज्यादा उम्रदराज व्यक्ति के रूप में दर्शाया जा रहा था, अब कमला हैरिस ट्रंप के मुकाबले युवा हैं. जिसका लाभ उन्हें चुनाव अभियान में मिल सकता है.बहरहाल, कमला हैरिस के डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बनने से भारतीय समुदाय में उत्साह जरूर है लेकिन जहां तक नीतियों का प्रश्न है तो अमेरिका का राष्ट्रपति चाहे डेमोक्रेटिक हो या रिपब्लिकन, वहां की मूलभूत नीतियां नहीं बदलती . इसी तरह अमेरिका के राष्ट्रपति को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनका देश दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बना रहे. यही वजह है कि अमेरिका की विदेश, रक्षा और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन नहीं आता. इसलिए कमला हैरिस की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का केवल प्रतीकात्मक और भावनात्मक महत्व है. भारत को इसका कितना लाभ मिलेगा, यह नए राष्ट्रपति के कार्यभार संभालने के बाद ही पता चलेगा. जहां तक डोनाल्ड ट्रंप का प्रश्न है तो उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत केमिस्ट्री कमला हैरिस के मुकाबले ज्यादा अच्छी है. इसलिए अमेरिका का राष्ट्रपति कोई भी हो ,भारत के हित अप्रभावित रहने वाले हैं. डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस दोनों ही विश्व मंच पर भारत की हैसियत और महत्व को समझते हैं. इसलिए कूटनीतिक रूप से भारत और अमेरिका के संबंधों में कोई फर्क नहीं आने वाला है.