6ग्वालियर चंबल डायरी6
हरीश
कभी ग्वालियर चंबल क्षेत्र अपने उद्योग धन्धों के लिए जाना जाता था। करीब चार दशक पहले यहाँ मालनपुर और बानमोर में औद्योगिक प्रक्षेत्र स्थापित किए गए थे, जिसमें देश के बड़े औद्योगिक घरानों ने अपने कल कारखाने स्थापित किए। यहाँ औद्योगिक क्रांति की बयार आ गई थी लेकिन इसके बाद यहाँ तमाम कारणों से कारखाने बंद होते गए। करीब बीस हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार देने वाले बिरला समूह के जेसी मिल्स, सिमको, रेयान, स्टील फाउंड्री पर भी ताला लग गया। लेकिन सूबे के नए ऊर्जावान सीएम डॉ. मोहन यादव के प्रयास अब रंग ला रहे हैं।
इंदौर और जबलपुर के बाद आज ग्वालियर में हुई रीजनल इंडस्ट्री कांक्लेव में हुई 4570 करोड़ के निवेश की घोषणा से उम्मीद बंधी है कि कभी मध्यभारत की राजधानी रहे ग्वालियर का स्वर्णिम औद्योगिक वैभव वापस लौटेगा। रीजनल कांक्लेव में बड़ी घोषणाएँ हुई हैं। अडानी व अम्बानी समूह कई इकाइयों को ग्वालियर क्षेत्र में स्थापित करने जा रहे है। ग्वालियर के उद्योग जगत में अर्से से पसरे निराशा के माहौल में यह खबर ताजा हवा के झोंके के समान है कि यहाँ 10 इकाइयों की ओर से 2570 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया जा रहा है ।
इसके अलावा क्षेत्र की पूर्व स्थापित 5 इकाइयों द्वारा विस्तार कर 2000 करोड़ से ज्यादा का निवेश किया जाएगा, नतीजन साढ़े चार हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार हासिल होगा। अडानी समूह 3500 करोड़ तो अम्बानी ग्रुप भी 150 करोड़ का निवेश करने जा रहा है। गुना में एक बड़ी सीमेंट फ़ैक्ट्री, शिवपुरी में डिफ़ेन्स सिस्टम की फ़ैक्ट्री व बदरवास में पूर्णत: महिलाओं द्वारा संचालित होने वाली जैकेट फ़ैक्ट्री जैसी सौग़ातें मिली हैं। हालांकि इसका श्रेय सीएम मोहन यादव को जाता है लेकिन महल से जुड़े सूत्र बताते हैं कि सिंधिया तीनों प्रोजेक्ट के क्षेत्र में लाने के लिए अडानी समूह के अधिकारियों से पिछले कई महीने से बात कर रहे थे।
चुनाव में चार साल : नेता मैदान में
विधानसभा चुनाव को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है लेकिन ग्वालियर पूर्व सीट से माया सिंह और मुन्नालाल गोयल जैसे महल के करीबी दिग्गजों को हराकर दूसरी बार विधायक बने सतीश सिकरवार एक्टिव मोड में आ गए हैं। विधानसभा चुनाव में अभी चार साल से ज्यादा का वक्त है लेकिन सतीश ग्वालियर पूर्व के हर ब्लॉक में जाकर कार्यकर्ता सम्मेलन और गोठ पार्टियां कर रहे हैं। इन आयोजनों के लिए घर घर जाकर कार्यकर्ताओं को न्यौता जाता है। सिर्फ कांग्रेसजन ही नहीं बल्कि क्षेत्र के मुअज्जिद लोग भी सतीश के इन जलसों में शरीक हो रहे हैं। अपनी इस सक्रियता के जरिए सतीश ने यही संदेश देने की कोशिश की है कि वे सिर्फ चुनाव के वक्त सक्रिय रहने वाले नेताओं में से नहीं हैं बल्कि पूरे पांच साल जनता के बीच रहते हैं। कुछ ऐसा ही अंदाज बिजली मिनिस्टर प्रद्युम्न सिंह का है। वे विधायक या मंत्री रहें अथवा न रहें लेकिन हर साल सागरताल रोड स्थित आनंदी पहाडी पर गोठ के जरिए हजारों कार्यकर्ताओं को जोड़ना नहीं भूलते, उनकी टीम भी गोठ की तैयारी में व्यस्त है।
इंतहाँ हो गई इंतजार की…
एक ओर विजयपुर और बुदनी के उपचुनाव सिर पर हैं, वहीं सत्तारूढ़ दल में निगम, बोर्ड और प्राधिकरणों में नियुक्तियों में देरी से उपजा कार्यकर्ताओं का असंतोष खदबदाने लगा है। ग्वालियर के तीनों प्राधिकरण पिछले छह महीने से खाली पड़े हैं। शिवराज ने जो निगम बोर्ड अध्यक्ष नियुक्त किए थे, उन्हें सूबे में नई सरकार बनते ही छह महीने पहले रुखसत कर दिया गया था। रावत पर सीताराम की तल्खी
सीएम के सामने विजयपुर के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने जिस तल्ख अंदाज में कांग्रेस से भाजपा में आए जंगलात महकमे के वजीर रामनिवास रावत को समाज की राजनीति को लेकर चेतावनी दी, उससे भाजपा के बड़े नेता भी अचंभित हैं। कुछ ही महीने में यहाँ उपचुनाव हैं जिसमें विधायकी से इस्तीफा देकर मंत्री बने रावत की उम्मीदवारी तय है, लिहाजा उनका विजयपथ प्रशस्त करने बगावती हुए सीताराम को मनाने की कवायद शुरू हो गई है।