दुर्घटना रोके बिना जान कैसे बचएगी सरकार

मध्य क्षेत्र की डायरी
दिलीप झा

भोपाल शहर सुंदर है। इसकी चर्चा पूरे देश में होती है लेकिन यहां सड़क हादसे को रोकने के लिए जैसा प्रयास होना चाहिए हो नहीं रहा है। हालांकि यह भी सच है कि जिस हिसाब से आबादी और वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि अकेले सरकार समस्या का समाधान नहीं कर सकती। इसके लिए राजधानी के गणमान्य लोगों और समाजसेवियों की मदद लिये बिना दुर्घटना में मौत जैसी समस्या का हल कतई नहीं निकलेगा। हर आदमी कहीं न कहीं भाग रहा है। किसी के पास समय नहीं है एक मिनट रुकने का। आखिर इतनी भागमभाग इंसान को क्यों लगी रहती है, यह समझ से परे है।

सरकार को ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा। ट्रैफिक पुलिस वर्षों से एक ही ढर्रे पर काम कर रही है, वो है चालान। उसे एक नए विजन के साथ काम करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। राज्य में आए दिन सड़क हादसे में सैकड़ों लोगों की जान जा रही है लेकिन उसे रोकने के लिए सरकार के पास कोई ठोस प्लान नहीं है। लोगों का कहना है कि राज्य में हादसे के लिए परिवहन विभाग भी जिम्मेदार है। परिवहन विभाग की कार्यशैली का भगवान ही मालिक है। यहां सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिना परमिट के वाहन राज्य में कैसे घुस रहे हैं, इसकी निगरानी होनी चाहिए।

भोपाल शहर में ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई है क्योंकि वाहन चालक को पता है कि उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी है। ट्रैफिक पुलिस को सबसे पहले वाहनों की स्पीड पर नियंत्रण लाने की आवश्यकता है । जानकार बताते हैं कि आधी समस्या का हल इसी हो जाएगा। छतरपुर सड़क हादसे में गत दिनों सात लोगों की जान गई। जानकारी मिली कि उत्तर प्रदेश के वाहन बिना परमिट के छतरपुर घुस गए थे।

हैरानी की बात है कि हाईवे एनएच 39 कादरी गांव के पास मंगलवार को हुए भीषण सड़क हादसे सात लोगों की मौत के बाद प्रशासन जागा. पूरा परिवर बागेश्वर धाम दर्शन करने ऑटो से जा रहा था। इसमें उनका क्या कसूर था। बेलगाम दौड़ रही मौत की टैक्सियां और बसों पर सरकार को तुरंत लगाम लगाने के लिए पहल करनी चाहिए। क्योंकि हर हादसे के बाद टैक्सी एवं बसों की जांच शुरू की गई। कई खामियां सामने आई। लेकिन यह सवाल उठना लाजिमी है कि हादसे के बाद प्रशासन क्यों जागता है? छतरपुर आरटीओ विक्रमजीत सिंह ने बताया कि हादसे में शामिल वाहन की मध्य प्रदेश पासिंग नहीं थी और गाड़ी ओवरलोड पाई गई।

खनन माफिया पर शिकंजा कब?

पूरे प्रदेश में खनन माफिया के हौसले बुलंद हैं। आए दिन खनन माफिया किसी न किसी अधिकारी को वाहन चढ़ाकर जान लेने की कोशिश करते रहते हैं। इससे पहले खनन माफिया दर्जनों लोगों की जान ले चुके हैं। लोगों की मोहन सरकार से अपेक्षा है कि वे खनन माफिया पर शिकंजा कसे ताकि निर्दोष लोगों की जान बचाई सके।

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