नयी दिल्ली, 20 अगस्त (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को ‘गैर-भेदभाव’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में भाग लेने के लिए 31 अगस्त से 10 सितंबर तक मलेशिया के सेलंगोर की यात्रा करने की मंगलवार को अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने 10 लाख रुपये की सॉल्वेंट सिक्योरिटी जमा कराने की शर्त पर सीतलवाड़ को यह अनुमति दी।
पीठ ने याचिकाकर्ता सीतलवाड़ को सम्मेलन से भारत वापस आने पर जांच एजेंसी को पासपोर्ट जमा कराने संबंधी एक हलफना दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
पीठ के समक्ष गुजरात पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीतलवाड़ की याचिका का विरोध किया और कहा, “उन्हें सम्मेलन का विवरण और यात्रा का वास्तविक उद्देश्य भी बताना चाहिए।”
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीतलवाड़ का पक्ष रखते हुए कहा कि वह केवल उन शर्तों में ढील मांग रहे थे, जो पहले लगाई गई थीं कि उन्हें पासपोर्ट जमा करना होगा। सिब्बल ने कहा कि यह एक प्रतिष्ठित संगठन है, जो इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
इस पर श्री मेहता ने कहा, “हमें गंभीर आशंका है कि जाकिर नाइक वहां रहता है।”
इसके बाद पीठ ने सीतलवाड़ से 10 लाख रुपये की जमानत राशि दाखिल करने और सम्मेलन समाप्त होने के बाद अपना पासपोर्ट वापस करने को कहा।
शुरू में पीठ कम जमानत राशि का आदेश देने के लिए इच्छुक थी, लेकिन सोलिसिटर जनरल ने कहा कि 25,000 रुपये ‘उनके लिए कुछ भी नहीं’ होंगे। इस पर सिब्बल ने बताया कि उनके खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।
शीर्ष अदालत के समक्ष सीतलवाड़ ने कहा था कि उन्हें पुसत कोमास द्वारा आयोजित नस्लवाद विरोधी राष्ट्रीय ‘गैर-भेदभाव पर 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन’ के लिए एक पैनलिस्ट के रूप में निमंत्रण मिला है।
यह मामला वर्ष 2023 का है, सीतलवाड़ को 2002 के दंगों में कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में गुजरात पुलिस के मामले में नियमित जमानत दी गई थी।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार किया गया था।
जमानत के लिए शीर्ष न्यायालय की ओर से लगायी गयी शर्तों में से एक यह थी कि सीतलवाड़ का पासपोर्ट सत्र न्यायालय के पास रहेगा।