० नौनिहालों का भविष्य चौपट, जनपद उपाध्यक्ष ने किया औचक निरीक्षण
नवभारत न्यूज
रामपुर नैकिन 19 अगस्त। विकासखंड शिक्षा केन्द्र रामपुर नैकिन अंतर्गत ग्राम पंचायत पटना के ग्राम सरदा में संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय पदस्थ सूरदास शिक्षक सुरेश पनिका के हवाले होने से नौनिहालों का भविष्य चौपट है। विद्यालय में पदस्थ किए गए सहयोगी शिक्षक रमाशंकर द्विवेदी की उपस्थिति भले ही रजिस्टर में पूरे माह दर्ज होती हो, लेकिन सच्चाई यह है कि उनका विद्यालय आना जाना कब कैसे होता है यह समझ के परे है।
बीते 16 अगस्त को जनपद पंचायत रामपुर नैकिन के उपाध्यक्ष पदेन अध्यक्ष शिक्षा समिति ऋषिराज मिश्रा द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में उपरोक्त तथ्यों का खुलासा परिलक्षित हुआ। सूरदास शिक्षक पनिका ने बताया कि शिक्षक रमाशंकर द्विवेदी माह के अंतिम दिन आकर उपस्थित रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं तथा मुझसे भी कराते हैं। सूर होने की स्थिति में मैं अपना हस्ताक्षर सही स्थान पर नहीं कर सकता। जिसका प्रमाण शिक्षक उपस्थिति में मिला। जिसमें विगत 13 अगस्त 2024 से हस्ताक्षर नहीं है। प्रवेशी 20 छात्रों में 8 छात्र तितर-बितर स्थिति में देखे गए। छात्रों द्वारा बताया गया कि हम लोग सूरदास शिक्षक को ही जानते है दूसरे शिक्षक कौन है उन्हें जानते ही नहीं। ऐसी स्थिति में मध्याह्न भोजन व्यवस्था का भी हाल बेहाल है। भोजन पकाने तथा परोसने वाली रसोइया मौके पर नहीं मिली। सूरदास शिक्षक तथा बच्चों एवं उनके अभिभावकों द्वारा बताया गया कि भोजन वितरण कभी-कभी होता है। ऐसे हालातो के चलते एक तरफ जहां शैक्षणिक व्यवस्था एकदम चौपट है। शासन प्रशासन की ओर से सूरदास शिक्षक के सहयोग हेतु शिक्षक की पदस्थापना की गई जो ढाक के तीन पात बनकर रह गई।
शैक्षणिक अव्यवस्था सूरदास शिक्षक पनिका की आड़ में द्विवेदी शिक्षक की मनमानी तथा स्वेच्छाचारिता एवं विद्यालय भवन को किराए का घर बनाए जाने के संबंध में उपाध्यक्ष ऋषिराज मिश्रा द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रशासनिक स्तर पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई प्रस्तावित हो, अन्यथा शासन के वित्तीय कोष में चौतरफा चपत लगाने वाले तथा नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर मुनाफा कमाने वाले सभी संबंधित जनों के विरुद्ध जनमानस हर संभव स्तर पर लड़ाई लडऩे हेतु मजबूर होगा। पदेन शिक्षा समिति अध्यक्ष ने कहा कि प्रशासनिक अमला अपने नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए ऐसे लापरवाह शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई कर सरदा ग्राम में संचालित विद्यालय के अस्तित्व को बचाने का कार्य मुस्तैदी के साथ करेंए। ज्ञातव्य है कि ग्राम सरदा आदिवासी एवं हरिजन श्रेणी के रहवासियों से बाहुल्य है जहां संचालित प्राथमिक विद्यालय विगत 10 वर्ष पूर्व से संचालित है। सूरदास शिक्षक के हवाले संचालित प्राथमिक विद्यालय के नाम पर भले लगभग दो लाख रुपए का बजट बनता तथा व्यय होता हो, लेकिन पूर्णरूपेण नदारद होने को परिभाषित करता है।
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विद्यालय बना किराये का घर
वहीं दूसरी तरफ विद्यालय में किसी ठेकेदार के कर्मचारी किराए के रूप में रहकर अपना व्यापार कर रहे हैं। सूरदास शिक्षक द्वारा बताया गया कि मैं आंखों से विहीन हूं कौन रहता है यह तो नहीं जानता, परंतु कोई ठेकेदार के कर्मचारी रहते हैं यह जानकारी कानों से सुनता हूं। काबिले गौर तथ्य यह है कि विद्यालय भवन को किराए पर देने में किसका फरमान जारी हुआ, किराए की राशि किसके पास जमा हो रही है, क्या ऐसी गतिविधियां उचित है? आदि सभी तथ्य संदेहास्पद है।
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